अडानी ग्रुप की इन कंपनियों में कम हो रही है Mutual Funds की दिलचस्पी, अकेले अप्रैल में बेचे गए 1000 करोड़ से ज्यादा के शेयर

अडानी ग्रुप की इन कंपनियों में कम हो रही है Mutual Funds की दिलचस्पी, अकेले अप्रैल में बेचे गए 1000 करोड़ से ज्यादा के शेयर

नई दिल्ली: अडानी ग्रुप की कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स की दिलचस्पी में लगातार गिरावट देखी जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, अडानी समूह की 10 कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स का निवेश है, लेकिन इनमें से 8 लिस्टेड कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी में कटौती की गई है। यह ट्रेंड जनवरी 2025 से शुरू हुआ और अप्रैल में यह विशेष रूप से नजर आया, जब म्यूचुअल फंड्स ने अकेले एक महीने में अडानी ग्रुप की कंपनियों के 1000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बाजार में बेच दिए।

कौन-कौन सी कंपनियां हैं प्रभावित?

अडानी एंटरप्राइज़ेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट्स, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी विल्मर, एनडीटीवी और अंबुजा सीमेंट जैसी लिस्टेड कंपनियां इस सूची में शामिल हैं, जिनमें म्यूचुअल फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी घटाई है। जबकि ACC और अडानी पावर में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है।

कम होती हिस्सेदारी के पीछे संभावित कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड्स द्वारा हिस्सेदारी में कटौती के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • वैल्यूएशन संबंधी चिंता: अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर हाल के महीनों में तेजी से बढ़े हैं। इससे कुछ फंड्स ने मुनाफा बुक करना बेहतर समझा।
  • नियामकीय जोखिम: हिंडनबर्ग रिपोर्ट और उसके बाद की जांचों ने निवेशकों की चिंता बढ़ाई है।
  • विविधता लाने की रणनीति: कई म्यूचुअल फंड्स पोर्टफोलियो में विविधता लाने और रिस्क को संतुलित करने के लिए अपने निवेश को पुनर्संतुलित करते हैं।

निष्कर्ष

अडानी ग्रुप पर म्यूचुअल फंड्स की घटती दिलचस्पी निवेशकों के लिए एक सतर्कता का संकेत हो सकती है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि यह रुझान हर निवेशक के लिए नुकसानदेह हो। ऐसे समय में विवेकपूर्ण निर्णय और रिसर्च ही सही रणनीति साबित हो सकती है।

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