अरुणाचलः राज्य सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक आंदोलन एसीएफ जारी रखेगा

इटानगर, 03 मार्च (हि.स.)। अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम (एसीएफ) ने सोमवार को कहा कि वे अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (एपीएफआरए), 1978 को निरस्त करने की अपनी मांगों के संबंध में राज्य सरकार के खिलाफ अपना लोकतांत्रिक आंदोलन को जारी रखेगा।

एसीएफ ने कहा है कि आगामी 6 मार्च को होने वाला विरोध इस मुद्दे पर उनके पहले चरण के लोकतांत्रिक आंदोलन का अंतिम चरण होगा। हालांकि, हमें अभी तक राजधानी क्षेत्र इटानगर के जिला प्रशासन और पुलिस विभाग से अनुमति नहीं मिली है।

यह जानकारी एसीएफ के महासचिव जेम्स तेची तारा ने अरुणाचल प्रेस क्लब में आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दी।

ज्ञात ह कि बीते 1 मार्च को रोनो ग्राउंड दोईमुख में अपनी सद्भावना पद यात्रा के दौरान अरुणाचल प्रदेश के स्वदेशी आस्था और सांस्कृतिक समाज (आईएफसीएसएपी) के विभिन्न नेताओं के बयान के जवाब में जेम्स तेची तारा ने कहा कि एसीएफ राज्य सरकार के खिलाफ विरोध कर रहा है न कि किसी विशेष धार्मिक समूह के खिलाफ, इसलिए आईएफसीएसएपी नेताओं से एसीएफ और उसके नेताओं पर टिप्पणी करने से परहेज करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, हम आईएफसीएसएपी की एपीएफआरए, 1978 के क्रियान्वयन की मांग का सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार के समक्ष अपनी मांग रखने का अधिकार है। इसी तरह, एसीएफ को भी इस अधिनियम का विरोध करने और इसे निरस्त करने की मांग करने का अधिकार है। अरुणाचल प्रदेश सरकार को जारी किए गए न्यायालय के आदेश में एपीएफआरए, 1978 के क्रियान्वयन का कोई उल्लेख नहीं है, बल्कि केवल छह महीने की समय सीमा के भीतर अधिनियम के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया गया है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए कहा कि न्यायालय के निर्देशानुसार अधिनियम को लागू करना उनका कर्तव्य है। जेम्स ने राज्य की वर्तमान ज्वलंत स्थिति के लिए मुख्यमंत्री खांडू को दोषी ठहराया, जिसमें राज्य को दो समूहों में विभाजित किया गया है, जो राज्य में एपीएफए, 1978 के कार्यान्वयन पर अलग-अलग विचार रखते हैं।

जेम्स ने दावा किया कि अधिनियम में स्वदेशी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने के बारे में उल्लेख नहीं है, लेकिन ‘स्वदेशी आस्था’ के धर्म और उसी को संरक्षित करने के बारे में उल्लेख किया गया है और साथ ही अधिनियम राज्य के अन्य सभी स्वदेशी धर्मों को सुरक्षा प्रदान करता है।

ज्ञात हो कि संवाददाता सम्मेलन से पहले, एसीएफ सदस्यों ने सचिवालय में गृह मंत्री मामा नातुंग के साथ एक बैठक की, जिसमें मंत्री ने एसीएफ से 6 मार्च को प्रस्तावित विरोध को वापस लेने की अपील की है क्योंकि यह तिथि राज्य विधानसभा सत्र से टकराती है जो अगले 6 से 12 मार्च तक निर्धारित है।

इस बीच गृह मंत्री मामा नाटुंग ने सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को सूचित किया कि आज उन्होंने सचिवालय इटानगर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में एसीएफ के कार्यकारी सदस्यों के साथ दूसरी परामर्श बैठक की अध्यक्षता की और उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार एपीएफआरए 1978 के प्रावधान के तहत नियम तैयार करने में सभी धार्मिक नेताओं और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श बैठक करेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी

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