उपनिवेशिक, वाम मानसिकता से पत्रकारिता दिशाभ्रष्ट : डॉ. त्रिपाठी

– बरबाड़ी स्थित सुदर्शनालय में विश्व संवाद केंद्र असम ने किया नारद जयंती समाराेह का आयोजन – असमिया बाल साहित्य को नारद सम्मान से प्रेरणा मिलती है : शांतनु तामुली

गुवाहाटी, 1 जून (हि.स.)। उपनिवेशकालीन मानसिकता और वामपंथी दृष्टिकोण से प्रभावित पत्रकारिता आज दिशाभ्रष्ट हो चुकी है, ऐसा मानना है वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हर्षवर्धन त्रिपाठी का। उन्होंने कहा कि “नारदजी के पास कोई महल नहीं था, न ही वे इन्द्र के राजमहल में जाकर सत्ता-पोषित पत्रकारिता करते थे। लेकिन आज की मीडिया अंग्रेज शासकों के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश कर रही है, जो चिंताजनक है। हाल की वैश्विक अशांति के माहौल में देशविरोधी पत्रकारिता का स्वरूप निराशाजनक बन चुका है।”

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि “पहलगाम की घटना को ‘धार्मिक कटुता’ का परिणाम कहने वाले पत्रकार इस्लामी आतंकवाद कहने से क्यों डरते हैं? भारतीय स्वदेशी तकनीक से पाकिस्तान की धरती पर नष्ट किए गए वैश्विक हथियारों को झूठा बताने वाले नेता और पत्रकार, वास्तव में भारत के आत्मविश्वास को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”

विश्व संवाद केंद्र, असम की ओर से रविवार को गुवाहाटी के बरबाड़ी स्थित सुदर्शनालय में आयोजित देवर्षि नारद जयंती में डॉ. त्रिपाठी ने कहा, “भारतीय समाज की समता-नीति के विरुद्ध बाएं झुके पत्रकारिता की दिशा गलत हो रही है। गांधीजी और डॉ. अंबेडकर के विचारों को भी तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। ऐसा समय है जब पत्रकारों को नारद की तरह नैतिकता अपनाने की ज़रूरत है।”

उन्होंने कहा कि “असम में डिटेंशन कैंपों का विरोध करने वाले चीन के यातना शिविरों पर चुप रहते हैं। फेक न्यूज और फेक्ट-चेक की आड़ में आज पत्रकारों को आचरण की शुद्धता दिखानी चाहिए।”

इस अवसर पर बाल साहित्यकार एवं ‘मौचाक’ और ‘नतुन आविष्कार’ के संपादक शांतनु तामुली को देवर्षि नारद सम्मान से नवाजा गया। उन्हें चेलेंग चादर, स्मृति चिन्ह, पुस्तक, भारतमाता की प्रतिमा, मानपत्र और 50 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। शांतनु तामुली ने इसे “असमिया बाल साहित्य के लिए समकालीन प्रेरणा” बताया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि डॉ. त्रिपाठी को विश्व संवाद केंद्र, असम के उपाध्यक्ष गुरुप्रसाद मेधी ने फूलम गामोछा, अरनाई, सराय और ग्रंथ देकर सम्मानित किया। साथ ही वरिष्ठ उपसंपादक हिमांशु पाठक, प्राग न्यूज़ के इनपुट एडिटर दिगंत सहरिया और नियमिया वार्ता के स्टाफ रिपोर्टर खनिन डेका को भी विशेष सम्मान प्रदान किया गया।

विश्व संवाद केंद्र, असम के सचिव किशोर शिवम ने अपने वक्तव्य में भारतीय संस्कृति में “नारद” शब्द के महत्व और उनके पत्रकारिता संबंधी योगदान को रेखांकित किया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. गौरांग शर्मा, आरएसएस के असम प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ. सुनील मोहंती, असम प्रकाशन परिषद के सचिव प्रमोद कलिता समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभा का संचालन नव बुज़रबरुवा ने किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ भारतमाता की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसे गायक शरत राग द्वारा प्रस्तुत नारद स्तोत्र ने गरिमा प्रदान की।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

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