इटानगर, 01 मार्च (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (एपीएफआरए) 1978 के तत्काल कार्यान्वयन की मांग करते हुए अरुणाचल प्रदेश के स्वदेशी विश्वास और सांस्कृतिक समाज (आईएफसीएसएपी) ने शनिवार को दोईमुख टाउनशिप में एक सद्भावना पदयात्रा (शांतिपूर्ण रैली) का आयोजन किया।
सद्भावना पदयात्रा में सैकड़ों स्वदेशी लोग शामिल हुए, जिनमें वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, युवा शामिल थे, जो विभिन्न धार्मिक समुदायों से थे। बैनर, तख्तियों और पारंपरिक पोशाक के साथ आयोजित यात्रा में स्वदेशी समुदाय के सदस्य रोनो मैदान में एकत्र हुए और दोईमुख टाउनशिप में मार्च करते हुए अपनी संस्कृति और धार्मिक विरासत की रक्षा के लिए कानूनी उपाय की मांग की।
सभा को संबोधित करते हुए आईएफसीएसएपीके अध्यक्ष एमी रूमी ने अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1978 के अभी तक क्रियान्वयन न होने पर नाराजगी व्यक्त की, जिसे 1978 में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि आईएफसीएसएपी के गठन के बाद हमने बार-बार राज्य सरकार को अपना प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया, लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसके बाद हमारे पूर्व आईएफसीएसएपी नेताओं ने कानूनी मदद ली और जनहित याचिका दायर की और अब राज्य सरकार नियम बनाने के लिए उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन कर रही है।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1978 किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, यह सिर्फ अरुणाचल प्रदेश की परंपरा, संस्कृति और आस्था के क्षरण की रक्षा के लिए है। अन्य धार्मिक समूहों की ओर से कोई विरोध नहीं किया गया, लेकिन अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम ने इसका विरोध किया और इसे असंवैधानिक बताया। यदि अधिनियम असंवैधानिक है तो अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम अदालत क्यों नहीं जा रही है, सिर्फ राज्य में अराजकता क्यों पैदा कर रहा है। फोरम राज्य की शांति व्यवस्था को भंग करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम ने स्वयं दावा कि है कि वे एक गैर धार्मिक संगठन हैं। लेकिन वे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं। यदि वे गैर धार्मिक संगठन हैं तो उन्हें धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि एसीएफ ने फिर से एपीएफआरए 1978 के कार्यान्वयन में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया तो आईएफसीएसएपी आने वाले दिनों में एसीएफ के खिलाफ कानून का सराहा लेगा।
उन्होंने राज्य सरकार से बिना किसी देरी के अधिनियम के तत्काल कार्यान्वयन के लिए कदम उठाने का भी अनुरोध किया।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी