एफआरए कार्यों में तेजी लाएं अधिकारी: राजस्व मंत्री नेगी

शिमला, 21 मई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने वन अधिकार अधिनियम (एफआरए)-2006 के तहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बुधवार को शिमला में एफआरए से जुड़ी प्रगति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए।

राजस्व मंत्री ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम को वर्ष 2006 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी और इसे 1 जनवरी 2008 से लागू किया गया है। इसके तहत ऐसे अनुसूचित जनजातीय और अन्य परंपरागत वनवासी समुदायों को भूमि अधिकार दिए जाने का प्रावधान है, जो 13 दिसंबर 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों से वन भूमि पर रह रहे हैं और अपनी आजीविका के लिए वन संसाधनों पर निर्भर हैं।

जगत सिंह नेगी ने स्पष्ट किया कि एफआरए के अंतर्गत कार्य कर रहे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी अब सीधे उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में दर्शाई जाएगी। इसके साथ ही पटवारियों और कानूनगो की जवाबदेही सेवा गारंटी अधिनियम के तहत तय की जाएगी, जिससे कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने कहा कि एफआरए के सही क्रियान्वयन के लिए पंचायत सचिव से लेकर जिला स्तरीय समितियों तक के सभी संबंधित अधिकारियों को पूरी गंभीरता से अपनी भूमिका निभानी होगी। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बैठक के दौरान राजस्व मंत्री ने आपदा राहत से जुड़े मामलों की भी समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि आपदा की स्थिति में समय पर राहत पहुंचाने और मुआवजा प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

—————

हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

administrator