—विश्व आईबीडी दिवस पर बीएचयू में जागरूकता अभियान
वाराणसी, 16 मई (हि.स.)। विश्व आईबीडी (इन्फ्लेमेटरी बाउल डिज़ीज) दिवस पर 19 मई को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में हर वर्ष की भांति मरीजों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। अभियान में पंजीकृत एवं नए मरीज भी भाग लेंगे। विभागाध्यक्ष डॉ.देवेश प्रकाश यादव ने शुक्रवार को यह जानकारी पत्रकारों को दी।
उन्होंने बताया कि 19 मई को सारी दुनिया विश्व आईबीडी दिवस मनाती है। इस अभियान में आईबीडी के बारे में जागरूकता पैदा करने, लोगों की समझ बढ़ाने, खुली चर्चा के लिए प्रोत्साहित करने और बेहतर उपचारों तथा उसे ठीक करने की दिशा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए चर्चा होगी। डॉ. यादव ने बताया कि विभाग में पहली बार मल प्रत्यारोपण का कार्य शुरु किया गया है शीघ्र ही यह व्यापक स्वरुप लेगा। उन्होंने बताया कि विभाग में आईबीडी क्लीनिक डॉ देवेश प्रकाश यादव चलाते हैं। लखनऊ और कोलकाता के मध्य केवल बीएचयू में ही आईबीडी क्लीनिक चलाया जाता है। जिसमें 2021 से अभी तक कुल 1388 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज दीर्घकालिक प्रजाजनक स्थितियों, मुख्य रूप से क्रांस डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस का समूह है, जिसके कारण आंतो में प्रदाह होता है। आईबीडी भारत में लगातार बढ़ता जा रहा है और करीब 15 लाख भारतीय आईंबीडी से ग्रस्त हैं।
—आईबीडी के लक्षण
पेट दर्द और ऐंठन, मल में रक्त, दस्त, वजन घटना, भूख घटना है। बीमारी में छाछ, दही, केला, दलिया, मिक्स सब्जी सब (छिलका रहित), लौकी, कद्दू, तरोई मरीज खाए। आईबीडी के निदान में सिटी स्कैन, एंडोस्कोपी, अल्ट्रासाउंड, कोलोनोस्कोपी, मल जांच होती है। पीड़ितों को डिब्बा बंद खाना, दूध, लाल मांस, तेल एवं मसालेदार भोजन, कोल्ड ड्रिंक, पिज्जा, बर्गर, पैक्ड फूड प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से परहेज करना चाहिए। वार्ता में डॉ. एस . के.शुक्ला डॉ अनुराग कुमार तिवारी,डॉ विनोद कुमार आदि मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी