प्रयागराज,28 मई(हि.स.)। भारत को विकसित बनाना है तो कृषि में आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी होगी, जिसके लिए कल विकसित कृषि संकल्प अभियान का शुभारंभ किया जायेगा। यह बातें बुधवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित प्रयागराज एवं कानपुर मंडल की संयुक्त मंडलीय खरीफ उत्पादकता समीक्षा गोष्ठी को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कही।
उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत उन्नति बीज एवं प्राकृतिक खेती पर चर्चा की जायेगी तथा प्रयोगशाला का शोध खेत तक पहुंच सके। उपस्थित कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के हिसाब से उर्वरकों का प्रयोग किये जाने का सुझाव दिया गया। कृषकों को यह भी अवगत कराया गया कि पहले बीज की सब्सिडी बाद में मिलती थी जबकि आज पी.ओ.एस. मशीन के माध्यम से तुरन्त ही सब्सिडी प्राप्त हो रही है तथा शीघ्र ही प्रदेश में सीड पार्क विकसित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन का जो लक्ष्य रखा गया है उसकी प्राप्ति हेतु सरकार ने सभी आवश्यक प्रबंध किये गये हैं। बीज, खाद, रसायनों की दोनों मंडल के सभी जनपदों में पर्याप्त उपलब्धता है। यांत्रिक एवं विद्युत दोष से खराब नलकूपों को तत्काल ठीक कराने के निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव कृषि की अध्यक्षता में बुधवार को जिला पंचायत सभागार में कानपुर एवं प्रयागराज मण्डल की संयुक्त मंडलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी-2025 का आयोजन किया गया। गोष्ठी के साथ ही त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम जनपद स्तरीय गोष्ठी एवं सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (आत्मा) योजना का भी आयोजन किया गया।
गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही उपस्थित रहे। समीक्षा गोष्ठी में निदेशक कृषि उप्र, निदेशक, बीज विकास निगम उप्र, निदेशक, प्रसार शुआट्स नैनी प्रयागराज दोनों मण्डल के समस्त मुख्य विकास अधिकारी तथा कृषि एवं संवर्गीय विभागों के मंडल एवं जनपदीय अधिकारी एवं विभिन्न जनपदों के प्रगतिशील किसान शामिल हुए।
किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से निराकरण करें जिम्मेदार अधिकारी: प्रमुख सचिव कृषि
उप्र के प्रमुख सचिव कृषि ने अपने संबोधन में कहा कि गोष्ठी में किसानों की जो समस्या आयी हैं सम्बन्धित अधिकारी उसका प्राथमिकता पर निराकरण करायें। उन्होंने अवगत कराया कि मिलेट्स प्रोसेसिंग यूनिट के.वी.के. प्रयागराज तथा कानपुर विश्वविद्यालय को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है जिसकी समय से स्थापना सुनिश्चित करायी जाय। इस दाैरान कानपुर मंडी में मक्का की खेती में अपेक्षाकृत कम उत्पादन प्राप्त होने की दशा में कृषकों को नई तकनीक अपनाये जाने का सुझाव दिया गया। साथ ही मृदा की उर्वरता कम होने पर कृषकों को जैविक खेती अपनाने जाने पर विशेष बल दिया ।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल