
मुंबई,13 मई ( हि.स.) । आम जनता को जंगल में मौजूद जानवरों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालाँकि, वन विभाग कुछ निश्चित अवधियों के दौरान कुछ प्राकृतिक अवसरों का उपयोग करके जानवरों का अवलोकन और रिकॉर्ड करने का प्रयास करता है। इस पृष्ठभूमि में, वन विभाग ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के येउर खंड में वन्यजीव गणना आयोजित की। इस बार जलाशय में नेवला, सांभर, लंगूर, जंगली बिल्ली, सांप, चील समेत 61 जंगली जानवर और पक्षियों की प्रजाति देखी गई है हैं।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 100 वर्ग किलोमीटर है। यह पर्यटन क्षेत्र प्राकृतिक दृष्टि से बहुत रमणीय स्थान माना जाता है।लुभावने जीव यहां स्वच्छंद विचरण करते हैं। शोरगुल पर पाबंदी लगाई गई है।झरने है तालाब के साथ विहंगम वैली भी लोगों को लुभाती है।स्थानीय लोगों के लिए या कश्मीर से कम नहीं है।इस क्षेत्र का लगभग 60 प्रतिशत भाग येउर वन के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्र के आसपास बड़ी मानव बस्ती है। पर मूल रूप से यहां के निवासी आदिवासी ही हैं।इधर वन विभाग ने यह भी कहा है कि कुछ स्थानों पर अतिक्रमण हुआ है। फिर भी वन्यजीव जीवित हैं और उनकी संख्या काफी अधिक है। इन सब घटनाक्रमों पर जंगल के जानवरों का क्या प्रभाव पड़ रहा है? इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए वन परिक्षेत्र अधिकारी मयूर सुरवसे ने बताया कि वन संरक्षक व निदेशक अनीता पाटिल, उप निदेशक प्रदीप पाटिल और सहायक वन संरक्षक करिश्मा कवड़े के मार्गदर्शन में बुद्ध पूर्णिमा के दिन येऊर के जंगल में जलाशय पर पक्षी और पशु जनगणना की गई थी।
इस क्षेत्र में तेंदुए सहित कई जंगली जानवर खुलेआम घूमते हैं। कभी-कभी ये जानवर शिकार की तलाश में जंगल से बाहर भी आ जाते हैं। इससे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की संभावना पैदा होती है। इसके समाधान के रूप में हम लगातार जानवरों का निरीक्षण और उनकी गिनती कर रहे हैं। येऊर क्षेत्र के कावेसर, ससुनावघर, चेना, नगला, काशी घोड़बंदर आदि स्थानों पर मचान पर बैठाकर जलस्रोतों में आने वाले पशु-पक्षियों से जानकारी एकत्रित की गई। इस दौरान सांभर, जंगली बिल्ली, जंगली सूअर, लंगूर, उल्लू, चमगादड़ वाघुल, नेवला बंदर, सर्प चील आदि सहित 61 वन्यजीव प्रजातियां देखी गई हैं।
ठाणे में येउर वन विभाग के उप निदेशक प्रदीप पाटील का कहना है कि बुद्ध पूर्णिमा पशु गणना के लिए अच्छा समय है, क्योंकि उस दिन चांदनी अधिक होती है और जंगल में पशुओं की आवाजाही तुलनात्मक रूप से अधिक होती है। इस प्राकृतिक प्रकाश से जानवरों का अवलोकन करना आसान हो जाता है। वन विभाग की इस पहल से जंगल में जैव विविधता की स्थिति को समझने में मदद मिलती है। इससे भविष्य में सुरक्षा के संबंध में निर्णय लेना आसान हो जाता है।
इस वर्ष की पशुगणना सफल रही और वन विभाग भविष्य में अधिक आधुनिक तकनीक की मदद से ऐसे अध्ययनों में तेजी लाने का प्रयास कर रहा है। इस जनगणना से पता चलता है कि येउर के जंगलों में समृद्ध वन्य जीवन अभी भी जीवित है। ठाणे महानगर पालिका की परिवहन की बसों के अलावा निजी वाहनों का यहां प्रचुर मात्रा में आवागमन है।कई सालों से ठाणे शहर से रोपवे चलाने की मांग की जा रही है।
—————
हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा