डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम माना – बलबीर

डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम माना – बलबीर

जम्मू, 29 मई (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता एवं पूर्व उपाध्यक्ष बलबीर राम रतन ने कहा कि भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की गिनती देश के महानतम समाज सुधारकों एवं शिक्षाविदों में होती है। वे शिक्षा को न केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन मानते थे, बल्कि सामाजिक क्रांति का सबसे कारगर हथियार भी मानते थे। डॉ. अंबेडकर का दृढ़ विश्वास था कि समाज में व्याप्त असमानता, जातिवाद एवं भेदभाव को मिटाने के लिए शिक्षा ही एकमात्र टिकाऊ एवं सशक्त साधन है।

डॉ. अंबेडकर कहते थे शिक्षा वह हथियार है जिसके माध्यम से समाज को बदला जा सकता है। उन्होंने न केवल स्वयं उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिनाइयों को पार किया, बल्कि समाज के वंचित वर्गों के लिए भी शिक्षा के द्वार खोलने का काम किया। कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे संस्थानों से पढ़ाई करके उन्होंने साबित कर दिया कि प्रतिभा जाति या सामाजिक स्थिति की मोहताज नहीं होती।

बलबीर ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा के प्रसार के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की तथा अपना पूरा जीवन दलितों, पिछड़े वर्गों तथा वंचित वर्गों को शिक्षित होने के लिए प्रेरित करने में समर्पित कर दिया। उनका मानना ​​था कि शिक्षा के बिना कोई भी समुदाय अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ सकता। उन्होंने शक्तिशाली नारा दिया शिक्षित बनो, संगठित रहो तथा आंदोलित रहो। आज, जब भारत सामाजिक समरसता तथा समावेशी विकास की ओर अग्रसर है, डॉ. अंबेडकर के विचार तथा योगदान और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। देश भर के शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों तथा सरकारों को उनके शैक्षिक दृष्टिकोण से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि सभी को समान अवसर मिल सकें तथा एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना हो सके।

डॉ. अंबेडकर का जीवन इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा न केवल आत्मनिर्भरता लाती है, बल्कि सामाजिक संरचनाओं को बदलने की शक्ति भी रखती है। उनके विचार भावी पीढ़ियों को शिक्षा तथा सामाजिक जागरूकता के महत्व के बारे में प्रेरित करते रहेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता

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