प्रयागराज, 22 मई (हि.स.)। पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए मुगल आक्रांताओं से लड़ते-लड़ते पति, ससुर और इकलौते पुत्र की मौत पर भी विचलित नहीं हुई। बल्कि अपने राज्य में दूरदृष्टी, न्यायप्रियता, धर्मनिष्ठा सें उसे समृद्धि की ओर अग्रसर किया। उनकी न्यायिक व्यवस्था से प्रभावित प्रजा साक्षात उन्हें धर्म का रूप मानती थी।यह बातें राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के त्रिशताब्दी वर्ष पर आयोजित यमुनापार जिला संगोष्ठी को बृहस्पतिवार को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रदेश के सह मीडिया प्रभारी व विधान परिषद सदस्य धर्मेंद्र सिंह राय ने जिला कार्यालय सिविल लाइंस में कार्यकर्ताओं से कही।उन्होंने कहा अहिल्याबाई ने देश भर में मंदिरों कुओं, धर्मशालाओं और घाटों का निर्माण कराया। जिनमें काशी, गया, सोमनाथ, द्वारका, रामेश्वरम् जैसे काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आक्रांताओं द्वारा खण्डित धर्म के प्रति प्रेरित अनगिनत मंदिरों का न केवल जीर्णोद्धार कराया बल्कि सनातन संस्कृति को पुनर्जीवित किया। ऐसी राजमाता का कभी विपक्षी सरकारों ने सम्मान नहीं किया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले काशी कारीडोर में अहिल्याबाई होलकर की मूर्ति लगवाकर सम्मान देने का कार्य किया। उन्होंने आगे कहा कि मोदी ने धार्मिक स्थलों का कायाकल्प कर दिया। यह आपके एक-एक बोट की ताकत थी। आक्रांताओं ने नागरिकों को जातियों में बांटकर रखा। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने सौगंध लिया था मुझे इस मिट्टी की सौगंध हम देश नहीं झुकने देंगे। उसे धरातल पर उतारकर सैनिकों का सम्मान और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता पर रख रहें हैं।अध्यक्षता करते हुए जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ल ने कहा हम सबको ऊंच-नीच छोटे-बड़े का भेदभाव छोड़कर अहिल्याबाई के बताएं मार्गों पर चलना चाहिए। भाजपा जिला मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि संचालन जिला संयोजक अशोक पाण्डेय ने एवं आभार महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष सविता शर्मा ने व्यक्त किया। इस अवसर पर मंचस्थ जिला महामंत्री पुष्पराज सिंह पटेल, प्रदेश मंत्री महिला मोर्चा आकांक्षा सोनकर, संतोष त्रिपाठी, जय सिंह, दिलीप कुमार चतुर्वेदी, सुरेश शुक्ला,सतीश विश्वकर्मा, मनोज गुप्ता के साथ जिला पदाधिकारी मंडल प्रभारी, मंडल अध्यक्ष अभियान की जिला व विधानसभा, ब्लाक की टोली के पदाधिकारी कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहें।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र