पहली बार मंडी आएंगे कुल्लू के ऋषि मार्कण्डेय थरास

मंडी, 23 मई (हि.स.)। कुल्लू घाटी के आराध्य देव ऋषि मार्कण्डेय थरास पहली बार मंडी शहर में पधार रहे हैं। एक भक्त के बुलावे पर महर्षि मार्कण्डेय थरास और महर्षि मार्कण्डेय औट का ऐतिहासिक मंडी दौरा 26 मई से शुरू हो रहा है। महर्षि मार्कण्डेय थरास अपने अनुज महर्षि मार्कण्डेय औट नैना माता मंदिर खलियार में आएंगे।

बता दें कि महर्षि मार्कण्डेय थरास कुल्लू राजघराने के प्रमुख देवता हैं और कुल्लू, मंडी के 7 मार्कण्डेय देवरथों में सबसे बड़े हैं। इनका मूल स्थान कुल्लू जिला में ब्यास नदी के किनारे मकराहड़ थरास नामक स्थान में है जोकि 7 मार्कण्डेय की तपोस्थली है।

कहते हैं कि यहीं से महर्षि मार्कण्डेय ने अपनी आगामी जनकल्याण की यात्रा प्रारम्भ की और जिस जिस स्थान में देवता ने तपस्या की वहां पर देवता प्रकट होते गये। महाऋषि मार्कण्डेय थरास अपने 7 भाइयों मंडी जनपद में मार्कण्डेय ऋषि औट, मार्कण्डेय ऋषि सुनारु, महर्षि मार्कण्डेय कटुरनी और कुल्लू जनपद के महर्षि मार्कण्डेय मंगलौर, महर्षि मार्कण्डेय बलागाढ़ और महर्षि मार्कण्डेय पेड़चा में सबसे बड़े हैं। महर्षि मार्कण्डेय के रथ की शैली अन्य देवताओं से अलग है। इस रथ में आपको मार्कण्डेय ऋषि और महादेव के त्रिनेत्रधारी छवि का संगम देखने को मिलता है।

महर्षि मार्कण्डेय 26 मई को अपने भाई देवरथ थलौट के साथ 2 बजे दोपहर भीमाकाली मंदिर में आएंगे। जहाँ नगर निगम के मेयर वीरेंदर भट्ट, नैना माता मंदिर के प्रधान धीरज टंडन और सुनार एसोसिएशन के प्रधान आशुतोष पाल चोपड़ा अन्य गणमान्यों के साथ देवता का स्वागत करेंगे। तत्पश्चात देवरथ का राजमाधव से दिव्य मिलन होगा। मार्कण्डेय महादेव स्वयं के अवतार बाबा भूतनाथ से भी मिलन करेंगे।

नैना माता मंदिर कमेटी के प्रेस सचिव आशीष टंडन ने ये जानकारी देते हुए कहा कि ऋषि मार्कण्डेय के देवरथों का मंडी नगरवासी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। महामृत्युंजय मंत्र के रचियता ऋषि मार्कण्डेय का जन्मदिन।पूजा की में विशेष महत्व है

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

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