जम्मू, 23 मई (हि.स.)। पर्यावरण चेतना और अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पारिस्थितिकी, पर्यावरण और रिमोट सेंसिंग विभाग, जम्मू और कश्मीर ने इकोविस्टा, पर्यावरण पार्क, राइका में – प्रकृति के मार्ग: शिक्षकों की कार्यशाला – की मेजबानी की। कार्यशाला में पूरे क्षेत्र के शिक्षकों को स्थायी शैक्षिक प्रथाओं का पता लगाने और पारिस्थितिक साक्षरता की अपनी समझ को गहरा करने के लिए एक साथ लाया गया।
इस कार्यक्रम में इकोविस्टा का एक निर्देशित दौरा शामिल था जो जम्मू और कश्मीर की विविध जैव विविधता और पारिस्थितिक समृद्धि को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक प्रकृति व्याख्या केंद्र है। केंद्र में इंटरैक्टिव प्रदर्शनों ने प्रतिभागियों को क्षेत्र की प्राकृतिक विरासत का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी में जैव विविधता के महत्व पर जोर दिया गया।
जम्मू के साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रोमेश कुमार गुप्ता ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा, जैव विविधता जीवन का आधार है। यह महत्वपूर्ण है कि हम शिक्षक के रूप में न केवल इसके महत्व को समझें बल्कि अपने छात्रों में प्रकृति और इसके संरक्षण के प्रति गहरा सम्मान पैदा करने में भी मदद करें। कॉलेज का प्रतिनिधित्व पर्यावरण विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. नेहा शर्मा और उसी विभाग की सहायक प्रोफेसर प्रो. पूनम कुंदन ने किया।
कार्यशाला की अध्यक्षता विभाग के निदेशक राकेश कुमार ने की जिन्होंने एक सूचित और पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार समाज बनाने में शैक्षणिक संस्थानों और पर्यावरण एजेंसियों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया। इसी बीच कीर्ति ने पर्यावरण शिक्षा को नीति और व्यवहार में एकीकृत करने पर अपनी अंतर्दृष्टि के साथ चर्चाओं को और गहराई दी।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा