सहरसा, 22 मई (हि.स.)। कभी समाज में यह धारणा आम थी कि लड़की पढ़-लिख कर क्या करेगी। अंततः तो उसे चूल्हा-चौका ही संभालना है। लेकिन अब समय करवट ले चुका है । बिहार सरकार के महिला संवाद कार्यक्रम ने इस सोच को चुनौती दी है और यह साबित कर दिया है कि अब बेटियां अपने भविष्य की राह खुद तय कर रही हैं ।
जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं जुटीं और अपनी समस्याओं के साथ-साथ सुझाव भी साझा किए। महिलाओं ने विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और स्थायी स्वरोजगार के लिए सरकार से ठोस पहल की मांग की। छात्रा शिम्पी कुमारी ने मंच से अपनी बात रखते हुए कहा कि आज की लड़कियां आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अब अपने हक के लिए खुलकर आवाज उठा रही हैं और समाज में नई चेतना का संचार हो रहा है।
महिला संवाद ने ग्रामीण महिलाओं को एक ऐसा मंच दिया है, जहां वे अपनी बातें खुलकर कह रही हैं। कार्यक्रम में भाग लेने वाली कई महिलाओं ने बताया कि अब वे सरकारी योजनाओं और अपने अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक हो चुकी हैं। वे पहले की तुलना में अधिक आत्मविश्वासी महसूस कर रही हैं। कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं ने बताया कि उनके गांवों में पहले सड़क, बिजली और नाली जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी थी। हालांकि अब स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में इन सुविधाओं की निरंतर निगरानी और सुधार की ज़रूरत है।
‘जीविका’ से मिली ताक़त, अब महिलाएं बन रही हैं प्रेरणा:
सरकार की योजनाओं जैसे ‘जीविका’ से मिली आर्थिक सहायता ने महिलाओं को न केवल स्वावलंबी बनाया है, बल्कि उनमें नेतृत्व की भावना भी जागृत की है। जो महिलाएँ पहले मंच पर बोलने से कतराती थीं, वे अब पूरे आत्मविश्वास से अपने विचार साझा कर रही हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार