वाराणसी, 26 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का विरोध सोमवार को भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ी संख्या में कर्मचारी भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय परिसर में एकत्र हुए और जमकर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि निजीकरण से कर्मचारियों की सुरक्षा और हितों की अनदेखी की जा रही है। कर्मचारियों ने बताया कि नगर निगम उपकेंद्र पर विद्युत स्पर्शाघात से गंभीर रूप से झुलसे कर्मचारी वीरेंद्र सिंह की स्थिति का हालचाल तक अधिकारियों ने नहीं लिया, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री वाराणसी में मौजूद होने के बावजूद घायल कर्मचारी से मिलने नहीं गए। वक्ताओं ने कहा कि सर्लोक कंपनी को तीन महीने का टेंडर दिए जाने के बावजूद अब तक कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इंजीनियर मायाशंकर तिवारी ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार निजी कंपनियों के हितों की रक्षा में ऊर्जा विभाग का निजीकरण कर रही है, जिससे कर्मचारियों की जान जोखिम में पड़ रही है।
संतोष वर्मा ने अधिकारियों का ध्यान शांतिपूर्ण आंदोलन की ओर आकृष्ट करते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और जनहितकारी है।
कर्मचारी नेताओं ने स्पष्ट किया कि आंदोलन के दौरान आम नागरिकों को कोई असुविधा नहीं होने दी जाएगी। अस्पताल, रेलवे और पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं में बिजली आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रखी जाएगी और किसी भी तरह की तकनीकी खराबी को तत्काल अटेंड किया जाएगा।
संघर्ष समिति ने एनसीआर क्षेत्र में आए भीषण आंधी-तूफान से प्रभावित बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बहाल करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों को निर्देश जारी किए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी