मंडी, 31 मई (हि.स.)। इतिहास सोसायटी, इतिहास विभाग एवं भास्कराचार्य क्लब, भौतिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में महान शासिका अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर एक विशेष अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें आचार्य ललित कुमार अवस्थी कुलपति सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी मुख्यातिथि,आचार्य राजेश शर्मा अधिष्ठाता छात्र कल्याण अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.सुरेंदर डी.सोनी चुरू राजस्थान से ऑनलाइन जुड़े। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं लोकमाता अहिल्याबाई के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। कार्यक्रम उदेश्य प्रस्तुत करते हुए डॉ.राकेश कुमार शर्मा कार्यक्रम संयोजक एवं इतिहास विभागाध्यक्ष ने अहिल्याबाई होल्कर के शासन कौशल, जनकल्याणकारी योजनाओं तथा धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने 18वीं शताब्दी में एक आदर्श शासक के रूप में जो कार्य किए, वे आज भी प्रेरणास्रोत हैं। मुख्यातिथि आचार्य ललित कुमार अवस्थी ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई भारतीय सभ्यता, संस्कृति और हिन्दू धर्म की संरक्षक, एक प्रेरणादायी शासिका व एक दूरदर्शी समाजसेविका थी। अहिल्याबाई की 300वीं जयंती केवल एक स्मृति पर्व नहीं है—यह वर्तमान और अतीत के बीच में एक संवाद है व भविष्य के लिए एक दायित्व है। यह अवसर हम सभी के लिए गौरव, सम्मान और आत्मचिंतन का विषय है।
मुख्य वक्ता प्रो. सुरेन्द्र डी.सोनी लोहिया महाविद्यालय चुरू राजस्थान ने अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि उनके जीवन का प्रत्येक क्षण राजधर्म और नारीधर्म की पुनर्परिभाषा बन गया। वे न्याय, सेवा और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की प्रतीक हैं। उनके कार्यों में संवेदनशीलता, न्यायप्रियता और दूरदर्शिता का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। आज जब हम सुशासन और नैतिक नेतृत्व की बात करते हैं, तब अहिल्याबाई हमारे लिए एक जीवंत उदाहरण बनकर सामने आती हैं। माता अहिल्याबाई होलकर केवल मालवा की रानी नहीं थीं, वे एक ऐसी चेतना थीं जिसने 18वीं सदी के भारत को नैतिक, सांस्कृतिक और प्रशासकीय स्तर पर एक नई दिशा दी। उन्होंने भारतीय समाज को एक नैतिक एवं सांस्कृतिक दिशा देने का कार्य भी किया। कार्यक्रम अध्यक्ष आचार्य राजेश कुमार शर्मा ने अहिल्याबाई की दूरदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार उनके कार्यों में तर्क और व्यवस्था की झलक मिलती है, जो आज की प्रौद्योगिकी आधारित दुनिया के लिए भी प्रासंगिक हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा