रंडौल गांव के राजमिस्त्री के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बोर्ड ने प्रदान की 84 हजार रुपए की आर्थिक सहायता

मंडी, 12 मई (हि.स.)। दीवारों पर ईंट-गारा लगाते जो हाथ दिन-रात मेहनत में रमे रहते हैं, उन्हीं हाथों ने अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य का सपना भी गढ़ा है। करसोग की उप-तहसील बगशाड के रंडौल गांव के राजमिस्त्री लीला नंद के लिए बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलाना एक ऐसा सपना था, जिसे उन्होंने कभी खुली आंखों से देखने की हिम्मत नहीं की थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड ने लीला नंद के सपने को न सिर्फ हकीकत में बदला, बल्कि उनके बेटे और बेटी को आत्मनिर्भर बनने की राह पर भी आगे बढ़ाया। लीला नंद ने हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में वर्ष-2023 में पंजीकरण करवाया था। पंजीकरण के उपरांत, बोर्ड की ओर से उनके बच्चों को शिक्षा के लिए लगभग 84 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।

उन्होंने बताया कि बोर्ड की ओर से उनके बेटे साहिल को इलेक्ट्रीशियन ट्रेड में आईटीआई की पढ़ाई के लिए 48 हजार रुपए और उनकी बेटी अंजली को ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए 36 हजार रुपए की आर्थिक मदद प्रदान की गई।

उन्होंने बताया कि बोर्ड की ओर से मिली इस आर्थिक मदद से बेटे साहिल ने शिमला के पंथाघाटी से इलेक्ट्रीशियन ट्रेड में सफलतापूर्वक अपना आईटीआई कोर्स उत्तीर्ण किया है और आज वह एसजेवीएनएल में अप्रेंटिसशिप कर रहा है। वहीं, उनकी बेटी अंजली ने 36,000 रुपए की इस आर्थिक मदद से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। यह आर्थिक सहायता उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर एक मजबूत कदम साबित हुई। ऐसे व्यक्ति जो किसी भवन या निर्माण कार्य में कुशल, अर्द्धकुशल के रूप में या मैनुअल, लिपिकीय कार्य, सुपरवाईजर या तकनीकी, वेतन या पारिश्रमिक के लिए कार्य करते है। जैसा कि मिस्त्री, पेंटर, प्लम्बर, वेल्डर, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर, मजदूर व हेल्पर आदि कामगार की श्रेणी में आते हैं और हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

राज्य सरकार ऐसे श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। बोर्ड के माध्यम से जरूरतमंद परिवारों को समय-समय पर आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। जिसके अन्तर्गत लीला नंद के बच्चों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के संवेदनशील नेतृत्व में प्रदेश सरकार का यह संकल्प है कि कोई भी होनहार बच्चा केवल संसाधनों की कमी के कारण अपने सपनों से वंचित न रहे। कामगार कल्याण बोर्ड जैसे प्रयास इसी दिशा में एक मजबूत कड़ी हैं, जो राज्य के निर्माण में लगे मजदूरों को सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, सम्मान और संभावनाओं से भरा भविष्य भी देते हैं।

लीला नंद का कहना है, अगर सरकार की आर्थिक मदद नहीं मिलती तो बच्चे पढ़ नहीं पाते। आज उन्हें आगे बढ़ते देख कर लगता है कि मेहनत रंग लाई है। उनका कहना है कि यह कहानी न केवल एक परिवार की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकारी योजनाएं जब ज़रूरतमंदों तक पहुंचती हैं, तो वे जीवन को संवार सकती हैं।

साहिल अंजली ने मुख्यमंत्री को कहा थैंक्यू

साहिल व अंजली ने बताया कि हमारे पिता जी ने हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में अपना पंजीकरण करवाया है। जिसके उपरांत प्रदेश सरकार द्वारा हमारी पढाई-लिखाई के लिए, हमें आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। अंजली ने बताया कि इस मदद से उन्होंने डिग्री कॉलेज सुन्नी से अपनी बी.ए. की पढ़ाई पूरी कर ली है। हम जैसे गरीब लोगों के लिए यह एक बहुत अच्छी योजना है। सरकार ने हमें जो आर्थिक सहायता प्रदान की है उसी से हम अपनी पढ़ाई पूरी कर पाए हैं। इसके लिए हम प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त करते हैं जो हम जैसे जरूरतमंद लोगों के बारे में सोचते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

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