राज्यपाल ने गीरीगंगा में की जल स्रोत पुनरुद्धार अभियान की शुरुआत

राज्यपाल ने गीरीगंगा में की जल स्रोत पुनरुद्धार अभियान की शुरुआत

शिमला, 26 मई (हि.स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सोमवार को शिमला जिले की जुब्बल उपतहसील के अंतर्गत समुद्रतल से करीब 9 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल गीरीगंगा में पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की। राज्यपाल ने यहां जल स्रोत के पुनरुद्धार अभियान का शुभारंभ किया और स्वयं श्रमदान कर मंदिर परिसर की सफाई की। इस दौरान उन्होंने चिनार का पौधा भी रोपित किया और जल एवं वन संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक किया।

कार्यक्रम गृह रक्षा, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन विभाग और एसडीआरएफ के तत्वावधान में स्थानीय महिला मंडलों के सहयोग से आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने महिला मंडलों को पौधे भेंट करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और उनसे अपनी-अपनी पंचायतों में बावड़ियों के रखरखाव के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

पर्यावरण व नशे के खिलाफ महिला शक्ति की भूमिका अहम

राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि महिलाएं समाज में परिवर्तन की वाहक हैं और उन्हें पर्यावरण संरक्षण व नशा उन्मूलन जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि गिरिगंगा सिर्फ एक जल स्रोत नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक है, जिसे संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, “जल जीवन की शक्ति है। गिरिगंगा जैसे पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों का क्षरण हमारे सामने गंभीर चुनौती बन चुके हैं।”

पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता

राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्यों में पारंपरिक जल स्रोत सदियों से जीवनरेखा रहे हैं, लेकिन शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली के चलते इन्हें उपेक्षित कर दिया गया है। अब समय आ गया है कि इन स्रोतों को फिर से जीवंत किया जाए। उन्होंने युवाओं और समाज के हर वर्ग से ‘वृक्ष और जल स्रोतों की सुरक्षा’ को जीवन का संकल्प बनाने की अपील की।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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