शिमला, 30 मई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। इस हाई प्रोफाइल केस की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद अब इस मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख और मेडिकल लीव पर चल रहे शिमला के एसपी संजीव गांधी ने हाईकोर्ट की शरण ली है। संजीव गांधी ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए लेटर पेटेंट अपील दाखिल की है।
शुक्रवार को दायर इस अपील में एसपी शिमला संजीव गांधी ने दावा किया है कि एसआईटी द्वारा की गई जांच निष्पक्ष, तथ्यों पर आधारित और कानून सम्मत रही है। कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि एसआईटी रिपोर्ट को “प्रीविलेज डॉक्यूमेंट” मानते हुए पुनः विचार किया जाए।
गौरतलब है कि इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार सीबीआई जांच के कोर्ट के आदेश को चुनौती नहीं देगी। ऐसे में संजीव गांधी की यह अपील व्यक्तिगत स्तर पर उठाया गया कदम माना जा रहा है।
हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी जांच, टीम शिमला पहुंची
इस मामले में हाईकोर्ट ने मृतक की पत्नी किरण नेगी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले की गंभीरता और पुलिस जांच में सामने आई खामियों को आधार बनाते हुए केस सीबीआई को सौंपा है। गुरुवार को दिल्ली से सीबीआई की चार सदस्यीय टीम शिमला पहुंची और शुक्रवार से जांच शुरू कर दी गई है। टीम का नेतृत्व डीएसपी ब्रिजेंद्र प्रसाद सिंह कर रहे हैं।
विमल नेगी 10 मार्च को रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गए थे और आठ दिन बाद उनका शव बिलासपुर जिले की गोविंदसागर झील से बरामद हुआ। प्रारंभिक जांच शिमला पुलिस की एसआईटी द्वारा की गई थी, जिसने करीब डेढ़ महीने तक मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी। लेकिन किरण नेगी ने इस जांच को पक्षपातपूर्ण बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी।
हलफनामे में विरोधाभास, कोर्ट ने जताई थी चिंता
हाईकोर्ट में शिमला पुलिस की जांच रिपोर्ट और डीजीपी अतुल वर्मा द्वारा दिया गया हलफनामा एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहे थे। दोनों में कई विरोधाभास पाए गए जिन्हें कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए एसआईटी जांच को हटाकर मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया। कोर्ट का मानना था कि निष्पक्ष और गहन जांच के लिए यह जरूरी है कि स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की जांच करे।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा