विश्व कछुआ दिवस : कछुआ प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में से एक

—विश्व में कछुओं की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ,भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां

वाराणसी,22 मई (हि.स.)। प्रत्येक वर्ष 23 मई को विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विश्व में कछुओं की घट रही संख्या के प्रति जनमानस को जागरूक करना और उनके आवासों की रक्षा करना, उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना है। इस बार विश्व कछुआ दिवस पर वाराणसी में शुक्रवार (23 मई) को सारनाथ जू में गोष्ठी का आयोजन होगा। इसमें कछुओं के संरक्षण पर विमर्श होगा।

वन संरक्षक वाराणसी वृत्त डॉ रवि कुमार सिंह के अनुसार कछुआ, प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में से एक है जो लगभग 200 मिलियन वर्ष पूर्व चिड़िया, सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुकी थी। विश्व में कछुओं की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ हैं जिनमें से लगभग 130 को आइयूसीएन ने संकटापन्न घोषित किया है। उन्होंने बताया कि भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें 24 प्रजाति कच्छप अर्थात स्थलीय कछुए के एवं 5 प्रजाति कुर्म अर्थात समुद्री कछुओं के हैं। पारितंत्र में कछुओं का अस्तित्व इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये एक स्वस्थ्य पर्यावरण के संकेतक माने जाते हैं। खाद्य श्रृंखला में इनका अहम स्थान है और पौधों व मछलियों की कई ऐसी प्रजातियाँ हैं जिनके नियंत्रण के लिए कछुओं का अस्तित्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में पाए जाने वाले समुद्री कछुओं की 5 प्रजातियाँ हैं, ओलिव रिडले, लेदरबैक, लोगरहेड, हरित कछुए एवं हौक्सबिल। इनमें से प्रथम तीन आईयूसीएन के द्वारा असुरक्षित घोषित किये गये हैं । हरित कछुए को विलुप्तप्राय ,हौक्सबिल को गंभीर रूप से विलुप्तप्राय की श्रेणी में रखा गया है। यदि इनके संरक्षण का प्रयास नहीं किया गया तो जल्द ही ये प्रजातियाँ विलुप्त हो जाएंगी।

—————

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

administrator