सनातन धर्म में पूजा पाठ की सम्पूर्ण विधि के जनक है आदि गुरू शंकराचार्यजीः मालवा प्रांत प्रमुख पांडे

सनातन धर्म में पूजा पाठ की सम्पूर्ण विधि के जनक है आदि गुरू शंकराचार्यजीः मालवा प्रांत प्रमुख पांडे

मंदसौर, 11 मई (हि.स.)। विश्व को मार्गदर्शन देने वाले सनातन धर्म की स्थापना करने वाले आदि गुरू शंकराचार्यजी की जयंती महोत्सव कार्यक्रम मध्य प्रदेश जनअभियान परिषद द्वारा मनाया जा रहा है, जो प्रेरणादाई है। हमें अपने जीवन में भी उनके द्वारा किये गये कार्यो को उतारना चाहिए।

उक्त विचार सक्षम संस्था के मालवा प्रांत प्रमुख रविन्द पाण्डे ने मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद विकासखंड सीतामऊ द्वारा आदी गुरू शंकराचार्यजी की जंयती महोत्सव कार्यक्रम मे रविवार को सरसकुंवर विद्यालय सीतामऊ मे व्यक्त किये।

मालवा प्रांत प्रमुख रविंद्र पांडे ने कहा कि मात्र 8 वर्ष की आयु में आदी गुरू शंकराचार्यजी ने चार वेदों का अध्ययन कर लिया था। उनको मात्र 12 वर्ष की आयु में संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया था। सनातन धर्म के 4 वेद और 18 पुराण की पुन:रचना करने का श्रेय आदी गुरु शंकराचार्यजी को जाता है। मां के आज्ञा से उन्होने सन्यास लिया था, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने मां की सेवा की है। पांडे ने कहा कि समाज में बढ़ती छुआछुत को खत्म करने के लिए उन्होंने काशी में सफाई कर्मी को साथ लेकर मार्गदर्शन दिया था। सनातन संस्कृति का पुन: उद्धार आदि गुरु शंकराचार्यजी को जाता है। सनातन धर्म में पूजा पाठ की सम्पूर्ण विधि के बारे में उन्होंने विस्तृत वर्णन किया है।

व्याख्यान कार्यक्रम मे वरिष्ठ शिक्षक मनोज जामलिया ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी का जीवन हमे प्रेरणा देता है। छुआछुत सहित अनेक सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यो से हमे सिखना चाहिए। जामलिया ने कहा की प्रकृति के प्रति हमारा कुछ दायित्व होता है,जिसे हमें उतरना होगा। व्याख्यान कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं आदी गुरु शंकराचार्यजी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।कार्यक्रम का सफल संचालन हरिओम गंधर्व ने किया। अंत में आभार विकासखण्ड समन्वयक नारायणसिंह निनामा ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / अशोक झलोया