सावित्री जैसी आस्था: महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे किया श्रद्धा का साक्षात प्रदर्शन

मीरजापुर, 26 मई (हि.स.)। ज्येष्ठ अमावस्या के पावन अवसर पर चुनार नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने पारंपरिक श्रद्धा और समर्पण के साथ वट सावित्री व्रत मनाया। व्रतधारी महिलाओं ने विधिपूर्वक वटवृक्ष की पूजा की और घर में बने विविध पकवानों से वृक्ष देवता को भोग लगाया। पूजा-अर्चना के उपरांत महिलाओं ने सत्यवान-सावित्री की प्रेरणादायक कथा का श्रवण कर प्रसाद वितरण किया और श्रद्धालु जनों को शरबत पिलाकर पुण्य अर्जित किया।

पूजन के दौरान व्रतियों ने बताया कि यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण के लिए किया जाता है। इस व्रत की कथा में नारी शक्ति, भक्ति और पतिव्रता धर्म का जो आदर्श है, वह आज भी हर महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

कथा के माध्यम से व्रतधारियों ने श्रोताओं को उस ऐतिहासिक प्रसंग की स्मृति दिलाई जब सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी जीतकर वापस लिए थे। उन्होंने अपने तप, संयम और चतुराई से न सिर्फ अपने पति को जीवनदान दिलवाया बल्कि अपने सास-ससुर की नेत्र ज्योति और खोया राज्य भी लौटवाया।

महिलाओं ने श्रृंगार कर वटवृक्ष की 108 बार परिक्रमा की, कच्चे धागे से वृक्ष को लपेटकर अपने वैवाहिक जीवन की रक्षा की कामना की। अनेक स्थानों पर सामूहिक रूप से व्रत का आयोजन किया गया, जहां सास-बहुओं और युवतियों ने पारंपरिक परिधानों में सजकर उत्सव का रंग और गहरा किया।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

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