सीतामाता मेले में दर्शनार्थियों से शुल्क वसूल रहा वन विभाग, सांसद रावत ने जताई नाराजगी

सीतामाता मेले में दर्शनार्थियों से शुल्क वसूल रहा वन विभाग, सांसद रावत ने जताई नाराजगी

उदयपुर, 25 मई (हि.स.)। उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य के सीतामाता मंदिर के मेले में दर्शनार्थियों से वन विभाग द्वारा वसूले जा रहे शुल्क पर गहरा असंतोष जताया है। उन्होंने इस व्यवस्था को अनुचित बताते हुए जिला कलेक्टर प्रतापगढ़ से चर्चा कर तत्काल बदलाव की मांग की है।

धरियावद उपखंड में स्थित सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में मां सीताजी का प्राचीन मंदिर है, जिसका उल्लेख रामायण काल से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा लवकुश जन्मभूमि, ठंडे व गर्म जल कुंड, फटी हुई धरती जैसे पावन और दुर्लभ स्थल यहां मौजूद हैं। यहां से रविवार से शुरू हुए चार दिवसीय मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। सांसद डॉ. रावत ने बताया कि वन विभाग द्वारा दर्शनार्थियों से प्रति व्यक्ति 145 रुपए, छात्रों से 55 रुपए और वाहनों से 330 रुपए तक शुल्क वसूला जा रहा है।

डॉ. रावत ने कहा कि मंदिर में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, अभयारण्य में घूमने के लिए नहीं। ऐसे में इस प्रकार का भारी शुल्क वसूलना पूरी तरह अनुचित है। खासकर आसपास के आदिवासी जो बड़ी संख्या में मेले में आते हैं, उनके लिए इतनी बड़ी रकम देना मुश्किल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वन विभाग द्वारा जारी सूची में भी सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य के लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं है, इसलिए इस शुल्क की वसूली नियमों के खिलाफ है।

सांसद ने जिला कलेक्टर से फोन पर बात कर इस शुल्क व्यवस्था में तुरंत सुधार की मांग की है। साथ ही उन्होंने मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ से भी इस मुद्दे पर चर्चा की है ताकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को इस तरह की वित्तीय बाधा न हो और उन्हें निर्बाध रूप से मां सीताजी के दर्शन करने का अवसर मिल सके।

यह मामला स्थानीय जनता में भी चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां कई लोग इस शुल्क व्यवस्था को धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं और प्रशासन से तत्काल संज्ञान लेने की अपील कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता

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