सूरत में गुजरात के प्रथम ‘सेंटर ऑफ कंपीटेंस-सीओसी’ को मंज़ूरी दी गयी : डॉ. कुबेर डिंडोर

सूरत में गुजरात के प्रथम ‘सेंटर ऑफ कंपीटेंस-सीओसी’ को मंज़ूरी दी गयी : डॉ. कुबेर डिंडोर

अहमदाबाद, 15 मई (हि.स.)। ‘सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन अभियान’ के अंतर्गत वर्ष 2047 तक देश में सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन की प्रतिबद्धता जताई गई है। सूरत में गुजरात के प्रथम ‘सेंटर ऑफ कंपीटेंस-सीओसी’ को केंद्र सरकार के आदिजाति मंत्रालय द्वारा हाल ही में मंजूरी दी गई है।

आदिवासी विकास मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर ने बताया कि इसमें भारत सरकार के स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा गुजरात को सिकल सेल एनीमिया के आधुनिक उपचार, निदान और सम्पूर्ण उन्मूलन के लिए 6 करोड़ रुपये की सहायता राशि आवंटित की गयी है। समग्र देश में सिकलसेल ग्रस्त राज्यों में रोग को नियंत्रित करने के लिए गुजरात के कार्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन अभियान के तहत सिकलसेल एनीमिया प्रभावित राज्यों में विशेष कार्यक्रम और नियंत्रण उपायों को लागू करने की योजना बनाई है। गुजरात जहां इस रोग पर नियंत्रण पाने में अन्य राज्यों के लिए पथ-प्रदर्शक साबित हुआ है, वहीं गुजरात के सूरत स्थित न्यू सिविल अस्पताल में स्थापित होने वाला ‘सेंटर ऑफ कंपीटेंस-सीओसी’ राज्य में ‘सिकल सेल एनीमिया’ के लिए परिणामोन्मुखी कार्य करके गुजरात से सिकल सेल को खत्म करने का महत्वपूर्ण केंद्र साबित होगा।

सेंटर ऑफ़ कंपीटेंस-सीओसी की भूमिका:

यह केंद्र आदिवासी नागरिकों में सिकलसेल एनीमिया रोग के बारे में अधिक जागरूकता लाने तथा स्वास्थ्य क्षमता का निर्माण करने के लिए कार्य करेगा। जिसमें प्रथम वर्ष में मल्टीडिसिप्लिनरी टीम के साथ सीओसी की स्थापना की जाएगी और उसे अत्याधुनिक नैदानिक और उपचार उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा। सिकल सेल के प्रत्येक रोगी के लिए रिकॉर्ड और फॉलो-अप की एक व्यवस्था स्थापित की जाएगी। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु एक प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण किया जाएगा। आवश्यकतानुसार आदिजाति स्थानीय बोलियों में प्रशिक्षण एवं जागरूकता साहित्य तैयार किया जाएगा तथा उसका उपयोग किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

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