हकृवि में 50वीं अनुसंधान कार्यक्रम समिति की राज्य स्तरीय बैठक आयोजित
हिसार, 1 जून (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीआर कम्बोज
ने कहा है कि अनुसंधान कार्यक्रम समिति एक जीवंत और उत्पादक अनुसंधान वातावरण को बढ़ावा
देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह शोध क्षेत्रों को प्राथमिकता देने, शोध
गतिविधियों का मार्गदर्शन करने और शोध के नतीजों का मूल्यांकन करने में भी निर्णायक
सिद्ध हो रही है।
कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज रविवार को विश्वविद्यालय में आयोजित 50वीं अनुसंधान
कार्यक्रम समिति (आरपीसी) की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में विभिन्न योजनाओं
एवं कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा करने के साथ-साथ सम्बंधित अधिकारियों को आवश्यक
निर्देश भी दिए गए। इस अवसर पर हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त
निदेशक डॉ. आरएस सोलंकी, पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. प्रेम सिंह, बागवानी विश्वविद्यालय
के निदेशक (स्पेशल) डॉ. अर्जुन सिंह, बागवानी विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. रणबीर सिंह,
हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के सीईओ आरएस चौहान तथा आईंआईंडब्ल्यूबीआर से डॉ. ओपी
अहलावत उपस्थित रहे।
कुलपति ने कहा कि समिति शोध उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, शोध उपलब्धियां को
मान्यता देने तथा विश्वविद्यालय के भीतर उच्च स्तरीय शोध सुविधाएं व उत्कृष्ट वातावरण
विकसित करने में भी मदद करती है। उन्होंने बताया कि यह शैक्षणिक अनुसंधान और व्यावहारिक
क्षेत्र अनुप्रयोगों के बीच एक सेतु का काम भी करती है। आरपीसी विश्वविद्यालय की शोध
गतिविधियों की समीक्षा, योजना और मार्गदर्शन करने का एक महत्वपूर्ण मंच भी है।
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि साढ़े चार वर्षों के इस कार्यकाल
में विश्वविद्यालय ने 16 फसलों की 44 किस्में विकसित की हैं, जिनमें गेहूं की चार,
मक्का की आठ, दलहन की सात, तिलहन की तीन, चारा फसलों की 15, औषधीय फसलों की तीन तथा
बाजरा, धान, गन्ना और करेला की एक-एक किस्में शामिल हैं। इन किस्मों के अतिरिक्त, जारी
करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तीन और राज्य स्तर पर 11 किस्मों की पहचान की गई है।
जिनमें गेहूं की डब्ल्यूएच 1270, धान की एचकेआर 49, गन्ने की सीओएच 160 व सरसों की
आरएच 1706 शामिल हैं।
विश्वविद्यालय की तिलहन, बाजरा, ज्वार और दलहन की टीमें राष्ट्रीय स्तर पर बैस्ट
सेंटर अवार्ड प्राप्त किए हैं। हकृवि द्वारा विकसित छोटे और सीमांत किसानों के लिए
एक हेक्टेयर एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल को आईसीएआर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित
किया गया। इस अवधि के दौरान विश्वविद्यालय को 41 आईपीआर प्रदान किए गए हैं। विश्वविद्यालय
अनुसंधान द्वारा उत्पन्न विभिन्न प्रौद्योगिकियों को 60 गैर-अनन्य लाइसेंस समझोंतों
और 09 औद्योगिक एमओयू के माध्यम से व्यावसायीकरण किया गया है। हमने 17 एमओयू पर हस्ताक्षर
किए हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी,
विभागाध्यक्ष उपस्थित रहें।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर