लाइब्रेरी में स्थापित की गई भारतीय संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति की प्रमाणिक
प्रति 0 डॉ. अंबेडकर की भव्य पोर्ट्रेट
डाक्टर अंबेडकर द्वारा रचित भारतीय संविधान शांति,समृद्धि और समानता का प्रतीक:
न्यायाधीश अनुराधा साहनी
हिसार, 21 मई (हि.स.)। जिला बार एसोसिएशन ने ऐतिहासिक पहल करते हुए अपनी सेंट्रल
लाइब्रेरी में भारतीय संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति की प्रमाणिक प्रति एवं संविधान
निर्माता, भारत रत्न, डॉ. भीमराव अंबेडकर की भव्य पोर्ट्रेट को स्थापित किया है। यह
हरियाणा में अधिवक्ताओं की किसी भी बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस प्रकार का पहला कार्यक्रम
रहा जहां संविधान और उसके महान शिल्पी को बार की संस्था द्वारा एक स्थायी प्रतीक के
रूप में स्थापित किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुराधा साहनी रहीं जिन्होंने संविधान की प्रतिकृति और डॉ. अंबेडकर के पोर्ट्रेट को स्थापित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बार एसोसिएशन के प्रधान एडवोकेट संदीप बूरा ने की जबकि मंच
संचालन बार सचिव एडवोकेट समीर भाटिया ने किया। इस अवसर पर न्यायाधीश अनुराधा साहनी
ने बुधवार काे कहा कि भारतीय संविधान केवल एक विधिक दस्तावेज नहीं बल्कि लोकतांत्रिक भारत की आत्मा
है। डॉ. अंबेडकर ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है जो समय की कसौटी पर हमेशा खरा उतरा
है। ऐसे समय में जब विश्व सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है हमारा संविधान
स्थिरता, न्याय और समावेश का मजबूत आधार बनकर उभरता है।
बार एसोसिएशन के प्रधान एडवोकेट संदीप बूरा और सचिव एडवोकेट समीर भाटिया ने
कहा कि आज जब विश्व और विशेषकर भारत-पाक संबंधों में तनाव का माहौल है भारतीय संविधान
की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। यह वही संविधान है जिसने आम नागरिक को समानता, अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार दिया। सुप्रीम कोर्ट को संविधान और न्याय की रक्षा
की सर्वोच्च जिम्मेदारी दी गई है। इस विरासत को बार एसोसिएशन द्वारा सम्मानित करना
हर अधिवक्ता के लिए गर्व की बात है। कार्यक्रम के दौरान न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं
ने सामूहिक रूप से संविधान को नमन किया और राष्ट्रीय एकता, अखंडता, समानता और बंधुता
जैसे मूल्यों को आत्मसात करने की शपथ ली। इस अवसर पर उप प्रधान एडवोकेट विकास पूनिया,
सचिव सह सचिव एडवोकेट सुनील भारद्वाज, कोषाध्यक्ष एडवोकेट सुनील सहदेव सहित अनेक वरिष्ठ
अधिवक्ता मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर