अरविंद पांडेय। नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर सरकार ने यदि अमल किया, तो देश के तमाम नामी निजी स्कूलों के नाम से ‘पब्लिक’ शब्द हट जाएगा। नई शिक्षा नीति में निजी स्कूलों के नाम से पब्लिक शब्द को हटाने की सिफारिश की गई है। साथ ही सुझाव दिया गया है कि इस शब्द का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल ही कर सकते है। नई शिक्षा नीति बनाने वाली कमेटी ने इसके अलावा निजी और सार्वजनिक स्कूलों (सरकारी स्कूल) के एक जैसे नियम-कायदे बनाने पर भी जोर दिया है।
इसरो के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति बनाने वाली कमेटी ने यह सुझाव सरकार को दिया गया है। कमेटी ने 31 मई को मानव संसाधन विकास मंत्री को यह रिपोर्ट सौंपी है। इसके तहत निजी स्कूलों को अपने नाम से पब्लिक शब्द को हटाने के लिए तीन साल का समय दिया है। साथ ही सरकार से स्कूली शिक्षा में ऐसे निजी ऑपरेटरों को रोकने की भी सिफारिश की है, जो शिक्षा के मूल स्वभाव को नष्ट करते हुए स्कूल को एक वाणिज्यिक उद्यम के रुप में चलाने का प्रयास करते है।
कमेटी ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर भी रोक लगाने की सिफारिश की है। जिसमें कहा है कि निजी स्कूल अपने लिए फीस का निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र तो होंगे, लेकिन वे मनमाने ढंग से स्कूल फीस ( किसी भी मद में) में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकते है। सार्वजनिक जांच के दायरे में रहते हुए बढ़ती लागत के कारण ही तार्किक वृद्धि की जा सकती है।
सिफारिश में कहा है कि स्टेट स्कूल रेगुलेटरी अथारिटी (एसएसआरए) की ओर से प्रत्येक तीन में मुद्रा स्फीति आदि के कारण फीस में जायज प्रतिशत वृद्धि की दर निश्चित की जाएगी।
सरकार ने हाल ही में इसी तरह डीम्ड विश्वविद्यालयों के नाम से विश्वविद्यालय शब्द को हटाने के निर्देश दिए थे। साथ ही ऐसे विश्वविद्यालयों को अपने नाम के साथ डीम्ड टू यूनिवर्सिटी लिखने को कहा था। सरकार का मानना था कि इससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है।
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Posted By: Bhupendra Singh