अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में 270 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस त्रासदी के बाद दुर्घटनास्थल से लगातार शवों को अहमदाबाद सिविल अस्पताल लाया गया। ज्यादातर शव बुरी तरह झुलसे हुए थे, जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया था। बावजूद इसके, 140 सरकारी डॉक्टरों की टीम ने महज 12.5 घंटे में सभी शवों का पोस्टमॉर्टम कर एक अत्यंत जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम दिया।
केवल 3 शव थे जिनकी पहचान संभव थी
12 जून को दोपहर हुए इस हादसे के बाद शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए लाया गया। पायलट सुमित सबरवाल, को-पायलट क्लाइव कुंदर और एक एयर होस्टेस के शव को एयर इंडिया अधिकारियों ने तुरंत पहचान लिया। इनके अलावा बाकी सभी शव इतनी बुरी तरह जले हुए थे कि पहचान मुश्किल हो गई थी।
डॉक्टरों के लिए भावनात्मक क्षण
हादसे में एक गर्भवती महिला की भी मृत्यु हुई थी। उसके शव का पोस्टमॉर्टम करते समय डॉक्टरों की आंखें नम हो गईं। इसके अलावा सिविल अस्पताल में कार्यरत 8 डॉक्टरों के शव भी इस दुर्घटना में मिले, जिनकी पहचान जल्दी हो गई थी। बाकी शवों की पहचान के लिए DNA प्रोफाइलिंग ही एकमात्र रास्ता था।
एक साथ 200+ पोस्टमॉर्टम, अद्वितीय मिशन
पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया शाम 4:30 बजे शुरू हुई और अगली सुबह 5 बजे तक बिना रुके चलती रही। 140 डॉक्टरों ने मिलकर 12 घंटे 30 मिनट में यह काम पूरा किया। डॉ. महेश कपाड़िया, जो अब तक 18,000 से ज्यादा पोस्टमॉर्टम कर चुके हैं, ने बताया कि ये उनका सबसे कठिन अनुभवों में से एक था।
तीन जगहों पर चला पोस्टमॉर्टम
पोस्टमॉर्टम सिविल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर, मुख्य पोस्टमॉर्टम कक्ष और एक अतिरिक्त PM रूम में किया गया। हर डॉक्टर ने कम से कम 3-4 शवों का पोस्टमॉर्टम किया। इस मिशन में अहमदाबाद, गांधीनगर, आणंद, खेड़ा और मेहसाणा जिलों के सरकारी डॉक्टरों को तत्काल बुलाया गया।
कैसे की गई पहचान:
क्योंकि शव बुरी तरह झुलसे हुए थे, पहचान केवल DNA के ज़रिए संभव थी। इसके लिए डॉक्टरों ने दांत, खोपड़ी की हड्डी, बालों की जड़ें, मांसपेशियों से DNA सैंपल लिए और प्रोफाइलिंग की मदद से शवों की शिनाख्त की गई।
इस घटना ने एक नया अध्याय लिखा
डॉ. कपाड़िया ने कहा, “गिनती के कुछ घंटों में सैकड़ों शवों का पोस्टमॉर्टम कर सरकारी डॉक्टरों ने न केवल अपनी दक्षता दिखाई बल्कि मानवता और सेवा भावना का एक नया अध्याय भी लिखा है।”