– मानव अधिकार आयोग ने डीजीपी से मांगी रिपोर्टचंडीगढ़, 15 मई (हि.स.)। हरियाणा से रोजाना औसतन 45 लोग लापता हो रहे हैं। इनमें कई मामले अपहरण से भी जुड़े हुए हैं। राज्य में पहली तिमाही के दौरान करीब 4100 लोग लापता हुए हैं। इस मामले का संज्ञान लेते हुए हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश से पुलिस महानिदेशक से आठ सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने प्रदेश से अपहरण एवं गुमशुदगी मामलों के बारे में रिपोर्ट मांगी है।इस बीच जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले आयोग के आदेशानुसार गुमशुदा व्यक्तियों का मुद्दा केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह गहन मानवीय पीड़ा और संकट को दर्शाता है। गुमशुदा लोगों के परिवारों को गंभीर मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है, विशेषकर तब जब उन्हें यह जानकारी तक नहीं होती कि उनके प्रियजन जीवित हैं या नहीं। इस असमंजस से उत्पन्न मानसिक तनाव, अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट जैसी समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं। यहां तक कि जब गुमशुदा व्यक्ति मिल भी जाते हैं, तब भी उनके और उनके परिवारों के लिए सामान्य जीवन में वापसी आसान नहीं होती।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग यह भी नजरअंदाज नहीं कर सकता कि गुमशुदा व्यक्ति शोषण और आपराधिक गतिविधियों के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। रिपोर्ट्स और पूर्ववर्ती घटनाएं दर्शाती हैं कि विशेष रूप से महिलाएं, बच्चे और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी, यौन शोषण और अवैध अंग व्यापार जैसी आपराधिक गतिविधियों के शिकार बनते हैं।
कई मामलों में गुमशुदगी फिरौती के लिए हत्या या अन्य गंभीर अपराधों में परिवर्तित हो जाती है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों की समय पर और प्रभावी कार्रवाई की विफलता संगठित अपराधों को बढ़ावा देती है, जिससे समाज में भय और कानून-व्यवस्था का संकट उत्पन्न होता है। इन सब तर्कों के आधार पर मानव अधिकार आयोग ने हरियाणा पुलिस महानिदेशक से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा