सिरसा, 17 मई (हि.स.)। ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव ने कहा कि किसानों को अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच करवाकर ही बिजाई करनी चाहिए। डॉ. यादव शनिवार को सिरसा जिला के गांव जमाल में कृषि विभाग द्वारा आयोजित किसान गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने किसानों को खेत में गोबर की तैयार खाद डालने पर जोर दिया। इससे मृदा की उर्वराशक्ति बढ़ती है। मिट्टी जांच के बाद संतुलित खाद का प्रयोग करें। डॉ. बीडी यादव ने ग्वार की कम पैदावार होने का जडग़लन व झुलसा रोग मुख्य कारण बताए। उन्होंनेे बताया कि उखेड़ा बीमारी के जीवाणु जमीन में पनपते हैं व ग्वार के उगते हुए पौधों की जड़ों को काला कर देते हैं। जिससे पौधे जमीन से नमी व खुराक लेना बंद कर देते हैं। इस कारण पौधे मुरझाकर पीले हो कर मर जाते हैं। ऐसे पौधों को जब जमीन से उखाड़ कर देखते हैं तो उनकी जड़ें काली मिलती हैं। उन्होंने बताया कि गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य किसानों को बीज उपचार और ग्वार की पैदावार बढ़ाने की नई तकनीक के बारे में पे्ररित करना है।
कृषि अधिकारी डॉ. संतलाल बैनीवाल ने किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की स्कीमों के बारे में पूरी जानकारी दी। इसके अलावा प्राकृतिक खेती अपनाने पर विशेष जोर दिया। इसके साथ-साथ उन्होंने फसल चक्र अपनाने की जानकारी दी और इसके महत्व के बारे में बताया।
बिजाई का उचित समय
जिस किसान के पास अच्छी गुणवत्ता वाला पानी उपलब्ध है तो ग्वार की बिजाई मानसून की बारिश आने से पहले कुछ रकबे में पानी लगाकर जून के पहले पखवाड़े में रिस्क को कम करने के लिए पलेवा करके बिजाई कर सकते हैं, परन्तु ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित है। बारिश पर आधारित बिजाई मानसून की अच्छी बारिश आने पर करें।
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हिन्दुस्थान समाचार / Dinesh Chand Sharma
