गुजरात में भीषण गर्मी के बीच जलाशयों में जल स्तर 50% से अधिक घट गया है। राज्य के 54 जलाशयों में जल स्तर अब 10% से भी कम रह गया है, जबकि 6 जलाशय पूरी तरह से सूख चुके हैं। जल स्तर में लगातार गिरावट के चलते कई ग्रामीण इलाकों में पानी की आपूर्ति अब टैंकरों के जरिए की जा रही है।
पिछले साल 17 मई तक गुजरात में जल स्तर 43% था, जबकि इस बार की तुलना में स्थिति थोड़ी बेहतर है। फिलहाल जिन जलाशयों में 70% से अधिक पानी बचा है, उनमें राजकोट के आजी-2, भादर-2, न्यारी-2, मोरबी के मच्छु-2, महिसागर का वनाकबोरी, सुरेन्द्रनगर का ढोली धाजा, कच्छ का कालाघोघा, जूनागढ़ का ओज़त-वीर, छोटा उदेपुर का सुखी और भरूच का ढोली शामिल हैं।
कच्छ में सबसे कम जल स्तर
कच्छ में जल स्तर सबसे कम 30.08% है। यहां के कैला, रुद्रमाता, कस्वती और माथल जैसे जलाशयों में पानी का स्तर 10% से भी नीचे पहुंच गया है। एक महीने पहले यानी 17 अप्रैल को कच्छ में जल स्तर 38% था, जो अब 8% घटकर 30% पर आ गया है। इसके अलावा सौराष्ट्र के 141 जलाशयों में वर्तमान में केवल 31.46% पानी बचा है। ऐसे में सौराष्ट्र और कच्छ की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
बड़े जलाशय भी सूखने लगे
बड़े जलाशय, जिनमें जल स्तर 50% से कम हो गया है, उनमें बनासकांठा का सिपू, मोरबी का मच्छु-2 और ब्रह्माणी, अरावली का हाथमती, भावनगर का शेत्रुंजी, मेहसाणा के धराई-कडाणा, राजकोट का भादर, तापी का उकाई और वलसाड का दमनगंगा शामिल हैं।
हालांकि जल स्तर में भारी गिरावट के बावजूद प्रशासन का दावा है कि राज्य को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। राहत की बात यह भी है कि इस बार मानसून जल्दी आने की संभावना है और मौसम विभाग ने सामान्य से बेहतर बारिश का पूर्वानुमान जताया है।