श्रीनगर 24 मई (हि.स.)। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के वाटरशेड विकास घटक के लिए राज्य स्तरीय मंजूरी समिति की आज यहां मुख्य सचिव अटल डुल्लू की अध्यक्षता में हुई बैठक में पीएमकेएसवाई के तहत वाटरशेड विकास के लिए 75.80 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्य योजना को मंजूरी दी गई।
यह बैठक वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक कार्य योजना का आकलन करने के अलावा योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी।
बैठक में प्रमुख सचिव वित्त, सचिव आरडीडी, जेएसडी, पीडब्ल्यूडी, राजस्व और अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
मुख्य सचिव ने संबंधित लोगों से जल संकट वाले क्षेत्रों में टिकाऊ परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए इस योजना का सर्वोत्तम उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने ऐसी पहलों में सामुदायिक भागीदारी का आह्वान किया ताकि ये उनके लिए सबसे अधिक लाभकारी साबित हो सकें।
उन्होंने इस प्रमुख योजना के तहत शामिल किए जा रहे विभिन्न जिलों में दर्ज प्रगति का आकलन किया और उन कार्यों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया जो विशेष क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त हैं। उन्होंने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इस योजना के तहत किए जा रहे कार्यों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करने के लिए साइटों का लगातार दौरा करने का निर्देश दिया।
बैठक में बोलते हुए वित्त और एपीडी विभागों के प्रधान सचिव शैलेंद्र कुमार ने डीपीआर में अन्य लघु सिंचाई कार्यों को शामिल करने पर जोर दिया ताकि इन क्षेत्रों में अंतिम खेतों तक पानी पहुंच सके। उन्होंने कार्यों के निष्पादन को और अधिक पारदर्शी और आम जनता के लिए फायदेमंद बनाने के उपाय भी सुझाए।
बैठक में केंद्र प्रायोजित प्रमुख कार्यक्रम के तहत प्रगति की समीक्षा की गई तथा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई जिसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश में जल संरक्षण, जलवायु अनुकूलशीलता तथा सतत कृषि को बढ़ावा देना है।
योजना की व्यापक रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए सचिव ग्रामीण विकास विभाग एजाज असद ने बताया कि डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई पहले के एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम का ही विस्तार है जिसे 2015-16 में पीएमकेएसवाई में शामिल कर लिया गया था।
उन्होंने बताया कि डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के तहत वाटरशेड आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहल तथा बुनियादी ढांचा परियोजनाएं क्रियान्वित की गई हैं। इसके अलावा, जल संचयन संरचनाओं, तालाबों तथा सिंचाई चैनलों के निर्माण पर विशेष जोर देते हुए विभिन्न जिलों में भौतिक तथा वित्तीय प्रगति दर्ज की गई है।
इसके अतिरिक्त मृदा तथा नमी संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन टैंक तथा बांध, झरनों तथा धाराओं सहित जल निकायों का सौंदर्यीकरण तथा पुनरुद्धार भी इस कार्यक्रम के तहत की जा रही कार्रवाइयों का हिस्सा हैं।
वर्ष का एक महत्वपूर्ण आकर्षण वाटरशेड यात्रा अभियान 2025 रहा जिसे 5 फरवरी को केंद्रीय कृषि मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा कठुआ जिले में लॉन्च किया गया। इस अभियान ने एकीकृत वाटरशेड शासन और सामुदायिक भागीदारी को रेखांकित किया जिसके लिए जम्मू-कश्मीर ने डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 की रणनीतिक योजना और भागीदारी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया।
बैठक में बताया गया कि जनभागीदारी वाटरशेड कप में जनभागीदारी की थीम के अनुरूप परियोजना निष्पादन में असाधारण सामुदायिक भागीदारी प्रदर्शित करने वाले 2-3 जिलों को मान्यता दी जाएगी।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के तहत एक नई पहल के हिस्से के रूप में पायलट परियोजनाओं के रूप में कायाकल्प के लिए जम्मू-कश्मीर को 300 झरने आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा 50,000 झरनों के कायाकल्प की राष्ट्रीय पहल के तहत 3,100 और झरने अस्थायी रूप से यूटी को सौंपे गए हैं जिसके लिए डीओएलआर से अंतिम परियोजना दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा है।
एसएलएससी ने 2025-26 के लिए 75.80 करोड़ रुपये के प्रस्तावित बजट के साथ वार्षिक कार्य योजना की भी समीक्षा की और उसे मंजूरी दी, जिसमें मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (42.70 करोड़ रुपये), उत्पादन प्रणाली (15.03 करोड़ रुपये), समेकन और निकासी चरण (2.15 करोड़ रुपये), एएपी 2024-25 से किए गए कार्य के दावे (8.14 करोड़ रुपये) और आगामी वित्तीय वर्ष में उपयोग किए जाने वाले 4.15 करोड़ रुपये के प्रशासनिक व्यय पर ध्यान केंद्रित किया गया।
समिति ने नए आवंटित 300 झरनों को शामिल करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के संशोधन को भी मंजूरी दी और जल शक्ति विभाग के परामर्श से डीपीआर बनाने के लिए कहा।
बैठक में निष्कर्ष निकाला गया कि अनुमोदित पहलों से स्थायी कृषि विकास में तेजी आने और पूरे क्षेत्र में समावेशी ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
हिन्दुस्थान समाचार / सुमन लता