शिमला, 28 मई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों ने बुधवार को सीटू के बैनर तले एकदिवसीय राज्यव्यापी हड़ताल का आयोजन किया। इससे राज्यभर में एम्बुलेंस के पहिये थमे रहे। एम्बुलेंस कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन, श्रम कानूनों और न्यायिक आदेशों के क्रियान्वयन, साथ ही प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांगों को लेकर प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन किया। हड़ताल के चलते सभी एंबुलेंस सेवाएं ठप रहीं और ड्राइवरों एवं ईएमटी कर्मचारियों ने काम से दूरी बनाए रखी।
जिला मुख्यालयों सहित शिमला स्थित एनएचएम निदेशक कार्यालय और सोलन के धर्मपुर में मेडस्वेन फाउंडेशन मुख्यालय पर प्रदर्शन किए गए। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
शिमला में आयोजित प्रदर्शन के दौरान सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, यूनियन अध्यक्ष सुनील दत्त, महासचिव बालक राम और अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि एनएचएम के अंतर्गत कार्यरत मेडस्वेन फाउंडेशन के अधीन सैकड़ों पायलट, कैप्टन और ईएमटी कर्मचारी गंभीर शोषण का सामना कर रहे हैं। उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन नहीं दिया जाता, 12 घंटे काम लेने के बावजूद ओवरटाइम वेतन नहीं दिया जाता। उच्च न्यायालय, लेबर कोर्ट और श्रम विभाग के आदेशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।
यूनियन नेताओं का आरोप है कि मांगों की आवाज उठाने पर कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। नेतृत्वकारी कर्मियों के तबादले किए जाते हैं या उन्हें नौकरी छोड़ने को विवश किया जाता है। कई कर्मचारियों को बिना कारण ड्यूटी से बाहर रखा जाता है और उन्हें छुट्टियां भी नहीं मिलतीं। इनके ईपीएफ, ईएसआई और वेतन ढांचे में भी अनियमितताएं हैं।
उन्होंने मांग की कि न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम का भुगतान हो, छुट्टियों का अधिकार मिले, वेतन में कटौती बंद हो और सभी श्रम कानून लागू किए जाएं। साथ ही पूर्व नियोक्ता जीवीके ईएमआरआई से सेवा समाप्ति के बाद लंबित छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी, नोटिस वेतन का भुगतान भी किया जाए।
यूनियन ने सरकार से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा