मुख्यमंत्री ग्रीन एडॉप्शन योजना: निजी भागीदारी से बढ़ेगा वन आवरण, सुधरेगा पर्यावरणीय संतुलन

शिमला, 29 मई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में सतत पर्यावरणीय विकास को गति देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री ग्रीन एडॉप्शन योजना’ को मंजूरी प्रदान की है। इस नवीन योजना का उद्देश्य क्षतिग्रस्त वन क्षेत्रों में पारिस्थितिक पुनर्स्थापन को बढ़ावा देना है, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाएगा। योजना के तहत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत निजी कंपनियां वन विभाग के साथ साझेदारी कर पौधरोपण, संरक्षण और रख-रखाव जैसी गतिविधियों में सहयोग करेंगी।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इस योजना की घोषणा करते हुए इसे प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक दूरदर्शी पहल बताया। यह योजना राज्य में वन आवरण बढ़ाने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण, जलवायु संतुलन और स्थानीय समुदायों को आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगी।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत निजी संस्थानों को वन विभाग के साथ पांच वर्षों की अवधि के लिए समझौता ज्ञापन करना होगा। इस समझौते में वित्तीय सहयोग, पौधरोपण की लागत, भूमि की बाड़बंदी, संरक्षण, आद्रता संरक्षण और रख-रखाव जैसी गतिविधियों के समस्त विवरण शामिल होंगे।

उन्होंने कहा कि इस पहल के माध्यम से राज्य के वास्तविक वन क्षेत्र को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने के लिए पारिस्थितिक तंत्र को सुदृढ़ किया जा सके। साथ ही, इससे सतत वन प्रबंधन की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।

योजना की एक खास बात यह है कि इसमें स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। महिला मंडल, युवक मंडल, स्वयं सहायता समूह तथा पंचायत प्रतिनिधियों को पौधरोपण, सिंचाई, निराई और देखरेख जैसी गतिविधियों में शामिल किया जाएगा। इससे न केवल पौधों के दीर्घकालिक संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

प्रवक्ता ने यह भी बताया कि वन विभाग की वेबसाइट पर इस योजना से संबंधित एक समर्पित अनुभाग विकसित किया जाएगा, जहां इच्छुक संस्थाओं के लिए क्षतिग्रस्त वन क्षेत्रों की सूची और अन्य जानकारी उपलब्ध रहेगी। विभाग योजना की संकल्पना से लेकर क्रियान्वयन और निगरानी तक हर चरण में तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्ध कराएगा।

सरकार का मानना है कि इस पहल से वायु गुणवत्ता में सुधार, जैव विविधता का संवर्धन और हरित आवरण में वृद्धि होगी। साथ ही निजी कंपनियों को भी एक जिम्मेदार कॉरपोरेट नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा, जिससे उनका ब्रांड मूल्य भी बढ़ेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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