– परिवहन विभाग के नवाचार से आत्मनिर्भर हुई इंदौर की महिलाएं
इंदौर, 30 मई (हि.स.)। जिस इंदौर की पहचान लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की न्यायप्रिय, दूरदर्शी और सामाजिक सुधारवादी शासन से होती है, वहां आज एक बार फिर महिला सशक्तिकरण की उसी परंपरा को नये रूप में जीवंत किया जा रहा है। देवी अहिल्याबाई ने जिस युग में महिलाओं को शिक्षा, संपत्ति और स्वाभिमान का अधिकार दिया था, उसी धरती पर अब परिवहन विभाग की पहल से 469 महिलाएं आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन गई हैं।
घर से निकल कर स्टेयरिंग तक का सफर
जनसम्पर्क अधिकारी महिपाल अजय ने शुक्रवार को बताया कि घरों में झाडू-पोछा, बर्तन या सिलाई जैसे छोटे-मोटे काम करने वाली ये महिलाएं आज सड़क पर आत्मविश्वास के साथ वाहन चला रही हैं। कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद जब आमजन विशेषकर महिलाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हुआ, तब क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) इंदौर ने महिलाओं के लिए नि:शुल्क ड्राइविंग प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम में अब तक 13 बैचों में 469 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। हर बैच में 30 से 35 महिलाओं को शामिल किया गया, जिन्हें पहले सिम्युलेटर पर और फिर ट्रैक पर वाहन चलाने की विधिवत ट्रेनिंग दी गई।
पूर्ण प्रशिक्षण, लाइसेंस और रोजगार तक की व्यवस्था
उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग की एआरटीओ अर्चना मिश्रा बताती हैं, “हम यह कार्यक्रम नंदानगर स्थित आईटीआई के सहयोग से चला रहे हैं। महिलाओं को न केवल वाहन चलाना सिखाया जाता है, बल्कि यातायात नियमों की जानकारी भी दी जाती है। साथ ही हम उनका लर्निंग और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस भी स्वयं बनवाते हैं।
ई-रिक्शा से आत्मनिर्भरता की ओर
जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार, प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कई महिलाओं ने अपनी जिंदगी की दिशा ही बदल दी है। अब तक 27 महिलाओं को सीएसआर फंडिंग से 25-25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिलवाकर ई-रिक्शा खरीदवाया गया है। 10 से अधिक महिलाएं वाहन शोरूम में कार्यरत हैं। सपना चौहान नामक महिला ने खुद का ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल शुरू कर लिया है।
राज्य शासन का प्रोत्साहन
इस नवाचार की सफलता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए मध्य प्रदेश शासन के कई मंत्री भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर महिलाओं को प्रमाण-पत्र वितरित कर चुके हैं।
नवाचार जो बना उदाहरण
इंदौर की यह पहल न केवल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक कदम है, बल्कि यह दर्शाता है कि यदि शासन और समाज साथ मिलकर काम करें, तो बदलाव संभव है। अहिल्याबाई होलकर के पदचिन्हों पर चलते हुए इंदौर आज भी महिला सम्मान और सशक्तिकरण की मिसाल बना हुआ है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर