स्थानीय समुदायों की सहमति के बाद ही जलविद्युत का कार्य आगे बढ़ेगा-मुख्यमंत्री

इटानगर, 30 मई (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शुक्रवार को कहा कि सियांग बहुउद्देशीय जलविद्युत परियोजना अपनी पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) के पूरा होने के बाद और सार्वजनिक सुनवाई और स्थानीय समुदायों की सहमति के बाद ही आगे बढ़ेगी।

यह बातें आज इटानगर में मीडिया को संबोधित करते हुए खांडू ने इस बात पर जोर दिया कि पीएफआर भूवैज्ञानिक व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण, गैर-हस्तक्षेपकारी कदम है और इसमें भूमि या बस्तियों को कोई भौतिक विस्थापन या क्षति शामिल नहीं होगी। उन्होंने कहा, पीएफआर पूरा हो जाने के बाद, हम एक सार्वजनिक सुनवाई करेंगे और केवल लोगों की इच्छा के आधार पर आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट यह निर्धारित करेगी कि कौन से क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं, संभावित रूप से प्रभावित होने वाले गांवों की संख्या और आवश्यक शमन उपाय और पीएफआर के माध्यम से बांध के आकार के बारे में कहा जा सकता है। परियोजना के रणनीतिक महत्व को दोहराते हुए खांडू ने कहा कि प्रस्तावित सियांग परियोजना केवल एक बिजली पहल नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी जरूरी है, खासकर चीन के अपस्ट्रीम जलविद्युत विकास के मद्देनजर। खांडू ने कहा, चीन ने पहले ही हमारी सीमा के पास 60,000 मेगावाट का बांध बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा बांध होगा। इसने भारत सरकार के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों इस मुद्दे पर एकमत हैं।

खांडू ने कहा, पीएफआर पूरा हो जाने दें। उसके बाद, सभी पहलुओं- तकनीकी सुरक्षा, पर्यावरण संबंधी चिंताएं, मुआवज़ा और पुनर्वास- पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी

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