गुजरात में होने वाली सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के आयोजन की तैयारी पूरी

गुजरात में होने वाली सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के आयोजन की तैयारी पूरी

-गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने राज्य में होने वाली मॉक ड्रिल के बारे में विस्तृत जानकारी दी

-मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समीक्षा की

अहमदाबाद, 06 मई (हि.स.)। केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 07 मई 2025 को सिविल डिफेंस के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन करने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में तथा गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, मुख्य सचिव पंकज जोशी, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एम. के. दास तथा राज्य पुलिस महानिदेशक विकास सहाय की उपस्थिति में 06 मई 2025 मंगलवार शाम सभी जिलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित कर सभी तैयारियों की समीक्षा की गई। इस बैठक में गुजरात विद्युत मंडल (जीईबी), अग्निशामक, वन, लोक कार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी), चिकित्सा, होमगार्ड, राजस्व, कलेक्टर, पुलिस विभाग, महानगर पालिका आयुक्त जैसे विभिन्न विभागों की तैयारियों की भी समीक्षा की गई।

गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने इस संबंध में मीडिया को यह जानकारी दी। उन्होंने आम नागरिकों को मॉक ड्रिल के संदर्भ में क्या करना चाहिए; इसका विवरण दिया। उन्होंने बताया कि चेतावनी दी जाए, तब नागरिकों को सतर्क रहकर दो प्रकार के सायरनों को समझना चाहिए। इसमें (1) वॉर्निंग सिग्नलः संभावित हवाई आक्रमण का संकेत देने वाला लंबा सायरन बजेगा। (2) ऑल क्लियर सिग्नलः छोटा तथा स्थिर सायरन, जो दर्शाता है कि खतरा गुजर चुका है।

किसी भी प्रकार की इमर्जेंसी स्थिति में तत्काल नागरिक प्रतिभाव (रिस्पॉन्स) के रूप में सभी बाह्य गतिविधियां तत्काल बंद कर वृद्धों, बच्चों एवं दिव्यांग नागरिकों की सहायता करनी चाहिए। इसके अलावा, लिफ्ट का उपयोग टालना चाहिए और स्थानांतरण के समय सीढ़ी का उपयोग करना चाहिए। 07 मई के दिन राज्य में शाम 7.30 से 8.30 बजे के दौरान विभिन्न जिलों में अलग-अलग समय पर आधा घण्टे के लिए ब्लैकआउट रहेगा। इस दौरान घरों, ऑफिसों तथा वाहनों में तमाम लाइट बंद करें या ढक दें। प्रकाश लीकेज रोकने के लिए ब्लैकआउट पर्दे या भारी कपड़े का उपयोग करें। खिड़कियों के पास मोबाइल फोन या फ्लैशलाइट का उपयोग टालें।

नागरिक संरक्षण अधिकारियों की ओर से रेडियो एवं विज्ञापनों द्वारा जो अधिकृत निर्देश दिए जाएं, उनका पालन करें। अफवाहों या गलत जानकारी न फेलाएं तथा जो लोग प्रक्रियाओं से अनजान हैं, ऐसे पड़ोसियों को मदद एवं मार्गदर्शन दें। गृह राज्य मंत्री ने सभी नागरिकों से यह भी अनुरोध किया कि यह मॉक ड्रिल केवल सतर्कता एवं पूर्व तैयारी के रूप में होने वाली है। अतः किसी को भय या घबराहट रखने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने राज्य के जिन 18 जिलों में यह मॉक ड्रिल होने वाली है, उसका विवरण देते हुए कहा कि अहमदाबाद, गांधीनगर, वडोदरा, भरूच (अंकलेश्वर), तापी (काकरापार), सूरत, भावनगर, जामनगर, देवभूमि द्वारका (ओखा, वाडीनगर), कच्छ-पूर्व (गांधीधाम), कच्छ-पश्चिम (भुज, नलिया), पाटण, बनासकांठा, गीर सोमनाथ एवं मोरबी में यह मॉक ड्रिल होगी।

संघवी ने मॉक ड्रिल के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया का विवरण देते हुए कहा कि- सिविल डिफेंस के सामान्य सिद्धांतों के अनुसार विभिन्न प्रकार की कुल 12 सेवाएं हैं, जो इस प्रकार की स्थिति में सक्रिय रूप से भाग लेंगी। इनमें सिविल डिफेंस के प्रशिक्षित वॉर्डन/स्वयंसेवक शामिल हैं। इंडियन एयर फोर्स ने हॉटलाइन द्वारा सिविल डिफेंस को गुप्त संदेश भेजा। सिविल डिफेंस/जागृत नागरिक सायरन/एसएमएस द्वारा नागरिकों को फर्स्ट रिस्पॉन्स देने वाले के रूप में मदद करते हैं। सिविल डिफेंस/जागृत नागरिक एसएमएस द्वारा नागरिकों को हवाई हमले की जानकारी देंगे। फायर फाइटर नागरिकों को स्थल से बाहर निकालने में मदद करते हैं और चिकित्सा टीम द्वारा फील्ड में उपचार दिया जाता है। पीडब्ल्यूडी मलबे एवं जर्जर इमारतों को हटाने तथा स्थल की सफाई करने में मदद करता है। वन विभाग का स्टाफ युद्ध स्थलों से प्राणियों-पशुओं को बाहर निकालने का कार्य करता है। पुलिस की मदद में रहकर होमगार्ड कानून-व्यवस्था की रक्षा करेगा। राजस्व अधिकारी देखरेख रखेंगे। समूची स्थिति में जिला कलेक्टर की देखरेख के अंतर्गत समग्र कार्यवाही की जाती है। पुलिस विभाग को ऐसी स्थिति में कानून-व्यवस्था बनाए रखनी होती है। विद्यार्थियों सहित आम जनता को सिविल डिफेंस, एसडीआरआफ तथा एसआरपी द्वारा संवेदनशील बनाने एवं जागृति का विस्तार करने की दिशा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। गाँव के सरपंचों को उचित मार्गदर्शन दिया जाएगा।

यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि वर्ष 1962 में हुए चीनी आक्रमण के बाद भारत सरकार ने अन्य देशों के अनुसार भारत देश में भी नागरिक संरक्षण तंत्र वर्ष 1962 से शुरू किया है। यह तंत्र शुरू करने का मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान जनता के जान-माल की रक्षा करना, घरेलू मोर्चे पर जनता का उत्साह बनाए रखना, अफवाओं से जनता को बचाने तथा औद्योगिक उत्पादन की प्रक्रिया व आपूर्ति बनाए रखना है। बाद में इस नागरिक संरक्षण की गतिविधि के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया है। शांति काल में बाढ़, भूकंप, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं या सांप्रदायिक दंगों, बड़ी आग, बड़ी दुर्घटना जैसी मानव सृजित (अप्राकृतिक) आपदाओं के समय नागरिक संरक्षण तंत्र के अधिकारी-कर्मचारी तथा नागरिक संरक्षण के मानद् पदाधिकारी-स्वयंसेवक तत्परता के साथ उपस्थित रहकर जनता की सेवा ड्यूटी निभाते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

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