अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के क्रैश में 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस भयावह हादसे के बाद विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है। फिलहाल दुर्घटनास्थल से मलबा हटाने का कार्य जारी है और फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर बारीकी से जांच शुरू कर दी है।
ब्लैक बॉक्स होता है नारंगी रंग का
भले ही इसे “ब्लैक बॉक्स” कहा जाता है, लेकिन यह असल में नारंगी रंग का होता है ताकि मलबे में से इसे खोजने में आसानी हो। इसमें दो मुख्य हिस्से होते हैं – फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR)। इन्हीं दोनों को मिलाकर ब्लैक बॉक्स कहा जाता है।
कैसे बनाया जाता है ब्लैक बॉक्स?
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) को इस तरह डिज़ाइन किया जाता है कि वह भीषण दुर्घटनाओं में भी सुरक्षित रह सके। इसके ज़रिये पायलट की गलती, तकनीकी खामी, मौसम या बाहरी हमले जैसे संभावित कारणों की जानकारी मिलती है। कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) को विमान के पिछले हिस्से में फिट किया जाता है क्योंकि यह हिस्सा आमतौर पर आख़िरी में क्षतिग्रस्त होता है।
CVR रिकॉर्ड करता है हर आवाज़ और समय
CVR एक छोटा लेकिन बेहद मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जो कॉकपिट के अंदर होने वाली सारी बातचीत, यात्रियों की आवाज़ें और पायलट-एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच संवाद को रिकॉर्ड करता है। यह हर रिकॉर्डिंग के समय और तारीख को भी सुरक्षित रखता है ताकि जांचकर्ता यह पता लगा सकें कि हादसा कब और कैसे हुआ।
CVR की ताक़त
CVR को आग, पानी, भारी दबाव और दुर्घटना की ज़बरदस्त टक्कर तक झेलने लायक बनाया जाता है। इसे स्टील या टाइटेनियम बॉक्स में बंद किया जाता है जो 3400 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी, 5000 G फोर्स के झटके और समुद्र में 20,000 फीट की गहराई तक दबाव को सहन कर सकता है।
डाटा विश्लेषण में 10 से 15 दिन लग सकते हैं
ब्लैक बॉक्स और CVR से प्राप्त डेटा का विश्लेषण 10 से 15 दिनों में किया जाता है। इसके साथ ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और पायलट्स के बीच हुई बातचीत की भी समीक्षा की जाती है। जांच एजेंसियां – DGCA, NTSB या BEA – इन सभी डाटा के आधार पर रिपोर्ट तैयार करती हैं, जिसमें हादसे का कारण, ज़िम्मेदारी और भविष्य में रोकथाम के लिए सुझाव शामिल होते हैं।
अस्पताल में DNA जांच, परिजनों को दिया जा रहा सहारा
हादसे में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवार अहमदाबाद सिविल अस्पताल में मौजूद हैं, जहां DNA पहचान की प्रक्रिया जारी है। पुलिस इन परिवारों का विशेष ध्यान रख रही है और उन्हें सांत्वना देने के साथ चाय, पानी व नाश्ता भी स्वयं परोस रही है। यह एक बेहद कठिन समय है, जिसमें प्रशासन हरसंभव सहयोग प्रदान कर रहा है।