Gujaratअहमदाबादराजकोट

सहकारी नेता विपुल चौधरी समेत 15 दोषी करार, 7 साल की सजा

मेहसाणा कोर्ट का फैसला, महाराष्ट्र में हुआ था घोटाला

मेहसाणा/अहमदाबाद। मेहसाणा दूधसागर डेयरी में सागर दाना घोटाला मामले में सहकारी नेता विपुल चौधरी को बड़ा झटका लगा है। मेहसाणा चीफ कोर्ट ने मामले में विपुल चौधरी समेत 15 आरोपितयों को दोषी ठहराया है। सभी को 7-7 साल की कैद की सजा सुनाई गई है। घोटाल में 4 कर्मचारियों को संदेह का लाभ देते हुए निर्दोष छोड़ा गया है।


22.50 करोड़ रुपए का सागर दाना महाराष्ट्र्र भेजा था
उत्तर गुजरात की बड़ी और मेहसाणा स्थित दूधसागर डेयरी के तत्कालीन चेयरमैन विपुल चौधरी ने वर्ष 2013 के दौरान 22.50 करोड़ रुपए का सागर दाना महाराष्ट्र भेजा था। इसमें घोटाला होने पर कुल 22 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें 3 आरोपितों की मौत हो चुकी है। वहीं 19 आरोपितों में 15 को कोर्ट ने दोषी ठहराया है। घोटोल में आरोपित 4 कर्मचारियों को निर्दोष बरी किया गया है।

विपुल चौधरी 1995 में पहली बार भाजपा के टिकट से विधायक चुने गए और केशुभाई पटेल की सरकार में मंत्री बने थे। 1996 में उन्होंने केशुभाई की सरकार को गिराने वाले शंकर सिंह वाघेला का साथ दिया और वाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी में चले गए। बाद में कांग्रेस के समर्थन से बनी वाघेला सरकार में वह गृह राज्य मंत्री बने। हालांकि, वाघेला से मतभेद होने के चलते वह उनसे भी अलग हो गए। पिछले साल वे गुजरात विधानसभा चुनाव से पूर्व उत्तर गुजरात में अर्बुदा सेना बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। बाद में वे चुनाव से दूर रहे थे।

इसलिए हुई गिरफ्तारी यह है मामला


दूधसागर डेयरी ने बगैर किसी मंजूरी के महाराष्ट्र में दाना भेजा था। इसकी वजह से डेयरी को 22.50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। आरोप लगा था कि तत्कालीन कृषि शरद पवार को मंत्री को खुश करने के लिए सागरदाना भेजा गया था। विपुल चौधरी को एनडीडीबी के चेयरमैन बनने की इच्छा थी। महाराष्ट्र में आकाल के हालात थे, इसलिए नियमों का उल्लंघन करते हुए दूधसागर डेयरी ने महाराष्ट्र के महानंदा डेयरी को दाना भेजा था। दाना भेजने के लिए जीएमएमएफसी की मंजूरी लेना जरूरी था। सागरदाना महाराष्ट्र भेजने के मामले में 17 अगस्त 2018 को विपुल चौधरी को जिम्मेदार माना गया था। इसके बाद 30 दिन में विपुल चौधरी को रकम वापस करने का आदेश किया गया। साथ ही उनपर डेयरी के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके बावजूद वे डेयरी का चुनाव लड़े और जीतने के बाद चेयरमैन के पद पर काबिज हुए। चेयरमैन बनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें पदमुक्त किया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button