
अहमदाबाद की एक कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर कथित हमले के 20 साल से अधिक पुराने मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आवेदन को खारिज कर दिया। इसमें उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे को उनके संवैधानिक पद पर रहने तक स्थगित रखने का अनुरोध किया गया था। पाटकर के वकील ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पीसी गोस्वामी की कोर्ट ने अप्रैल 2002 के मामले में वीके सक्सेना के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
क्या है आरोप?
आरोप है कि सक्सेना और तीन अन्य आरोपियों ने गांधी आश्रम में आयोजित शांति बैठक के दौरान पाटकर पर कथित रूप से हमला किया था। अन्य आरोपियों में गुजरात भारतीय जनता पार्टी के दो विधायक और कांग्रेस के एक नेता शामिल हैं।
आरोपियों में कौन-कौन?
पाटकर के वकील जीएम परमार ने बताया कि तीन आरोपियों एलिसब्रिज के विधायक अमित शाह, वेजलपुर के विधायक अमित ठाकर (दोनों भाजपा) और कांग्रेस नेता रोहित पटेल की जिरह पूरी हो गई। उन्होंने कहा कि जब सक्सेना की बारी आई, तो उनके वकील ने एक अर्जी दायर कर उनके खिलाफ मुकदमे को स्थगित करने का अनुरोध किया।
राज्य सरकार ने अर्जी का विरोध नहीं किया
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उस अर्जी का विरोध नहीं किया, इसलिए हमने शिकायतकर्ता की ओर से जवाब दायर किया। अदालत ने आठ मई को सक्सेना के आवेदन को खारिज करते हुए एक आदेश पारित किया। उपराज्यपाल ने सुनवाई अदालत से अनुरोध किया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 के प्रावधानों के तहत दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहने तक उनके खिलाफ मुकदमे को स्थगित रखा जाए।