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क्‍या होगा अगर प्‍लेन में पैदा हो जाए बच्‍चा, कैसे होगी डिलीवरी, कहां की मिलेगी नागरिकता?

किसी भी उड़ान के दौरान कई तरह की अप्रत्‍याशित घटना होने की आशंका बनी रहती है. सोचिए, क्‍या हो अगर एक फ्लाइट पर 115 लोग सवार हों और जब उड़ान लैंड हो तो प्‍लेन से एक यात्री ज्‍यादा यानी 116 लोग बाहर आएं. ऐसा कई बार हुआ है, जब गर्भवती महिला प्‍लेन में बैठी और उड़ान के दौरान उसने बच्‍चे को जन्‍म दिया. प्‍लेन में उड़ान के दौरान पैदा होने वाले बच्‍चों को काफी दुर्लभ माना जाता है. प्‍लेन में ऐसी स्थिति में सभी की प्राथमिकता बच्‍चे की सुरक्षित डिलीवरी रहती है. इसके लिए सबसे पहली कोशिश प्‍लेन में यात्रा कर रहे किसी डॉक्‍टर की मदद लेने की रहती है।

प्‍लेन में बच्‍चा पैदा होने के कुछ मामलों में मां और बच्‍चे को जल्‍द से जल्‍द अस्‍पताल पहुंचाने के लिए फ्लाइट को डायवर्ट भी किया गया है. बच्‍चे के प्‍लेन में जन्‍म लेने के बाद उसकी नागरिकता और कई दूसरे एयरलाइन भत्‍तों को लेकर माथापच्‍ची शुरू होती है. ज्‍यादातर एयरलाइंस गर्भवती महिलाओं के यात्रा करने पर पाबंदी लगाकर ऐसे हालात से बचने की कोशिश करती हैं. बता दें कि फ्लाइट के दौरान 2.6 करोड़ में से एक ही गर्भवती महिला की डिलीवरी की उम्‍मीद होती है. फिर भी ऐसी सुखद घटनाएं होती रही हैं और आगे भी होने की उम्‍मीद है. आइए जानते हैं कि अगर बच्‍चे का जन्‍म उड़ान के दौरान प्‍लेन में होता है तो डिलीवरी के लिए और जन्‍म के बाद क्‍या-क्‍या प्रक्रिया अपनाई जाती है?

जब एक गर्भवती महिला को उड़ान के दौरान हवाई जहाज में लेवर पेन होने लगता है, तो सबसे पहले उसे केबिन क्रू को अलर्ट करना चाहिए. अगर संभव हो पाता है तो डिलीवरी को प्‍लेन के किसी जगह पर लैंड करने तक टाला जाता है ताकि बच्‍चे की जमीन पर किसी अस्‍पताल में सुरक्षित डिलीवरी कराई जा सके. कुछ मामलों में ऐसा संभव नहीं हो पाता तो सबसे पहले मां को प्‍लेन में सबसे आरामदायक सीट पर ले जाया जाता है. दरअसल, इकोनॉमी क्लास की सीटें बैठने के लिए बहुत आरामदायक नहीं होती हैं. ऐसे में फ्लाइट अटेंडेंट मां को फर्स्‍ट क्‍लास की सीट तक ले जाती हैं. कई बार गैलरी में तेजी से बर्थिंग एरिया तैयार किया जाता है.

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