सूरत

अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस: सूरत की भाविका माहेश्वरी ने मात्र 11 साल की उम्र में किए ऐसे कार्य जानकर आप भी कहेंगे बेटी हो तो ऐसी

भाविका माहेश्वरी ने 11 साल की उम्र में "आज के बच्चे, कल का भविष्य" नाम की किताब लिखी

11 साल की उम्र में भाविका ने अपनी पहली किताब ‘आज के बच्चे कल का भविष्य हैं’ नाम की किताब लिखीं

भाविका ने कम उम्र में ही आध्यात्मिक वक्ता और प्रेरक वक्ता के रूप में ख्याति प्राप्त की

करीब 10 हजार बच्चों को पबजी की लत और मोबाइल की लत के बारे में जागरूक किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष और उपलब्धि को दर्शाती पुस्तक ‘संघर्ष से शिखर तक’ भी लिखी

राम कथा कर 52 लाख रुपये अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दान किए

किताबें पंख हैं जो आपको हर दिन नई ऊर्जा के साथ उड़ने में मदद करती हैं: भाविका माहेश्वरी

Surat : 2 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस है। यह दुनिया भर के बाल साहित्यकारों को पुरस्कृत करने का दिन है । ऐसे में हम बात करने जा रहे हैं सूरत की भाविका माहेश्वरी की जिसकी इस समय उम्र महज 14 साल है जो कक्षा 8 में पढ़ने वाली बाल लेखिका है। जिसने महज 11 साल की उम्र में “आज के बच्चे, कल का भविष्य” नाम की किताब लिखी। जिन्होंने कम उम्र में ही आध्यात्मिक वक्ता और प्रेरक वक्ता के रूप में ख्याति प्राप्त कर ली है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी भाविका लगभग 10 हजार बच्चों को मोबाइल गेम्स के आदत से बचाने के साथ – साथ पबजी की लत और मोबाइल की लत के बारे में जागरूक कर रही है।

भाविका माहेश्वरी सूरत

भारतीय संस्कृति में बच्चे को भगवान का रूप माना जाता है। ‘बच्चे मन के सच्चे’ की भावना भी प्रचलित है। भाविका माहेश्वरी ने बचपन से ही कोरी स्लेट की तरह बच्चों के मन में नैतिकता का संचार करने और अन्य बच्चों को अपने जैसा नागरिक बनाने के लिए ‘आज के बच्चे, कल का भविष्य’ शीर्षक से एक रोचक पुस्तक लिखी है। साथ ही, हाल ही में उन्होंने एक पुस्तक ‘संघर्ष से शिखर तक’ भी लिखी है, जिसमें राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के संघर्ष और उपलब्धियों का वर्णन है। विश्व की पहली ‘कोरोना अवेयरनेस ड्रॉइंग बुक’ में टीम सदस्य के रूप में भी योगदान दिया।

बाल लेखिका भाविका माहेश्वरी

2009 में सूरत में जन्मी भाविका अभी 8वीं क्लास में पढ़ रही है। सूरत के वेसु इलाके में माता-पिता के साथ रहती है। बचपन से ही आध्यात्मिक वातावरण में पली-बढ़ी भविका ने धर्म, अध्यात्म, वेद पुराणों का भी गहन ज्ञान प्राप्त किया है। जिसके कारण आज वे ‘बाल रामकथाकार और बालभगवतकथाकार’ भी हैं। यह उनके प्रेरक व्यक्तित्व का दूसरा पहलू है। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भाविका ने स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ श्रीमद भगवत गीता और रामायण का भी अध्ययन किया।

बाल कथाकार भाविका माहेश्वरी

श्री राम के आदर्श जीवन से प्रभावित होकर उन्होंने सोचा कि मैं भी रामजन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में अपना योगदान दूंगा। और 11 साल की उम्र में भविका ने 4 रामकथाओं का पाठ किया और 52 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा किया और राम मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया।

बाल कथा वक्ता भाविका माहेश्वरी

भाविका माहेश्वरी ने बताया कि पांच साल की उम्र से ही वह यूट्यूब पर एजुकेशनल वीडियो देख रही थी। एजुकेशनल वीडियो देखकर लेक्चर देना सीखा। भाविका ने कहा माता-पिता ने भी कभी-कभी मुझे सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरी भाषा थोडी अलग थी। लेकिन मैं अपनी बात लोगों को प्रभावी ढंग से समझा सकती थी। भविका ने बताया कि जब में 10 साल की हुई तब तक मेरे जैसे 10,000 से ज्यादा बच्चों को स्कूलों, बच्चों के कार्यक्रमों में ‘मोबाइल के प्रति जुनून, ऑनलाइन गेम और उन्हें कैसे छोड़ा जाए’ के ​​बारे में बताकर संवेदनशील बना चुकी थी। फिर “आज के बच्चे, कल का भविष्य” पर पहली बार यूट्यूब वीडियो सीरीज बनाई।

भाविका माहेश्वरी सूरत

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू पर लिखी किताब

“संघर्ष से शिखर तक” दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेरक कहानी पर लिखी गई है। गरीबी और संघर्षों से लड़कर वह पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी हैं, जिनकी कहानी पाठकों को सकारात्मक संदेश देगी और महिला सशक्तिकरण को भी मजबूत करेगी। भाविका कहती हैं, झोपड़ी में पैदा होना और राष्ट्रपति बनना दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की खूबसूरती है।

उन्होंने कहा कि मेरी एक और किताब ’21वीं सदी: राम की प्रासंगिकता’ भी 2 अप्रैल को रिलीज होगी। गौरतलब है कि भाविका ने सूरत के लाजपोर सेंट्रल जेल में 3150 कैदियों के सामने 5 दिन की विचारशुद्धि कथा दी थी। कोरोना काल में उन्होंने आइसोलेशन सेंटर में जाकर कोरोना प्रभावित मरीजों का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रेरक भाषण दिया।

भाविका को सांसद मनोज तिवारी ने ‘ग्लोबल इंडिया नेशनल एक्सीलेंस अवार्ड’ से नवाजा। हरियाणा, भाविका ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश में राम कथा, भागवत कथा और मोटिवेशनल स्पीच दी है। भाविका गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, असम के मुख्यमंत्री श्री हेमंत बिश्व सरमा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय सेना के सीडीएस-चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ श्री मनोज मुकुंद नरवने, साथ ही केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रियों ने विभिन्न मुलाकातों में उनकी काबिलियत को जानकर भाविका को प्रोत्साहन पत्र प्रस्तुत भी किए हैं।

भाविका के पिता राजेशभाई स्कॉलर इंग्लिश एकेडमी के एडमिनिस्ट्रेटर हैं। हाल ही में, उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग और सूरत जिला प्रशासन द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस-2023’ के दिन उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ योजना के लिए एक ब्रांड एंबेसडर के रूप में नामांकित किया गया।

बता दे अंतर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक दिवस (ICBD) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन द्वारा मनाया जाता है, जिसे इंटरनेशनल बोर्ड ऑन बुक्स फॉर यंग पीपल (IBBY) कहा जाता है, जो 1967 से हर साल 2 अप्रैल को बच्चों के लेखक हैंस क्रिश्चियन एंडरसन का जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। जिसमें विश्व स्तर पर बच्चों की गतिविधियों, बच्चों की लेखन प्रतियोगिता, बच्चों के पुस्तक पुरस्कारों की घोषणा और बाल साहित्य लेखकों को पुरस्कृत करने जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

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