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Gujarat: 17वीं सदी के इस किले का पालिका करेगी रिनोवेशन, खर्च होंगे 91 लाख रूपये

काफी ऐतिहासिक और पुराना है यह किला

अहमदाबाद। व्यारा में आज भी एक ऐसा ऐतिहासिक किला है जिसकी आपनी एक पहचान है। व्यारा में फतेह बुर्ज उतर और झील के बगल में यह किला आज भी मौजूद है। इस भवन का निर्माण पत्थर और ईंट से किया गया है। l इसे देखने मात्र से ही शाही भव्यता और भव्यता के साथ ऐतिहासिक महत्व की झलक मिल जाती है। यह किला हथियारों के एक कोट से घिरा हुआ है, जिसमें दो विशाल द्वार हैं। इस भवन को भारत सरकार द्वारा ऐतिहासिक भवन संरक्षण योजना के तहत रखा गया है। वडोदरा और गुजरात राज्य के पुरातत्व विभाग के अनुसार इसका निर्माण 17वीं सदी के मुगल वास्तुकला से मिलता जुलता है।

साथ ही नगर की आबादी की रक्षा के लिए नगर के चारों ओर एक बड़ा कोट था, जिसके अवशेष आज भी हैं। इस कोट में कुछ दूरी पर तीन बुर्ज थे। जो अब नष्ट हो चुके हैं। कोट में प्रवेश करने के लिए दो बड़े दरवाजे थे। जिनमें से एक झील के सामने था, जो लगभग नष्ट हो चुका है। दूसरे दरवाजे के ऊपर व्यारा नगर पंचायत का कार्यालय है।

माना जाता है कि बुर्ज और कोट को गुजरात के सुल्तानों ने सेना के लिए गेस्टहाउस के रूप में बनवाया था। माना जाता है कि सर थॉमस रो 17वीं शताब्दी की शुरुआत में व्यारा के इस गढ़ में ठहरे थे। 1750 से यह किला वड़ोदरा के गायकवाड़ के अधिकार में आ गया व्यारा और सोनगढ़ के बीच, व्यारा से सात मील उत्तर में घडी नामक स्थान है, जिसे लोककथाओं से जाना जाता है कि इसका उपयोग सैनिकों के लिए किया जाता था।

पुरातत्व विभाग व्यारा नगर पालिका की ऐतिहासिक धरोहर समा फतेपुर बुर्ज के दरवाजों, दीवारों का रिनोवेशन, अन्य मरम्मत कर रखरखाव कर रहा है। व्यारा नगर पालिका ने इस साल 91 लाख की लागत से फतेह बुर्ज किले के रिनोवेशन की भी योजना बनाई है।

नगर निगम पुरातत्व विभाग के साथ मिलकर किले में लैंडस्केपिंग, सिविल वर्क, फुटपाथ, किले के चारों ओर पैदल मार्ग, पानी और रंग बिरंगी रोशनी की सुविधा का निर्माण करेगा। जिससे व्यारा नगरी के किले की कीमत और बढ़ जाएगी। और यहां के नागरिकों लिए यह एक आने जाने का एक खूबसूरत केंद्र बन जायेगा।

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