
सूरत। सूरत के उमरा स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर के प्रांगण में एक पेड़ है। जिस पर गुलाबी रंग के फूल लगते हैं, जिसमें एक छोटा सा शिवलिंग दिखाई देता है, लोक मान्यता के आधार पर इस फूल को शिवलिंग पर चढ़ाने से मान्यताए पूरी होती हैं। इस पेड़ को कैलाशपति वृक्ष भी कहा जाता है।इस फूल की विशेषता यह है कि यह रात में तीन बजे के बाद खिलता है और दोपहर में गिर जाता है। मंदिर के गोसाईं धर्मेश टेडू ने बताया कि इस फूल का इस्तेमाल सोमनाथ महादेव मंदिर में विशेष सजावट के लिए किया जाता है।

यूनिवर्सिटी के बायोसाइंस विभाग के एचओडी डॉ. के मुताबिक इस फूल का वैज्ञानिक महत्व भी उतना ही है। मीनू परबिया द्वारा किए गए शोध के अनुसार इस फूल को अंग्रेजी में (पोरोपिटागुनेंसिस) कहा जाता है। पेड़ तोप के गोले जितना बड़ा फल देता है। इस फल का उपयोग सुखाने के बाद बालों के तेल में किया जाता है। यह सहस्रलिंग का फूल सूरत के कुछ क्षेत्रों में खिलता है। यह वृक्ष जिसके पुष्प से शिवलिंग के दर्शन होते हैं। प्रकृति ने इस गुलाबी फूल पर एक डिजाइन बनाई है जिसमें एक नाग भगवान शिव की रक्षा करता हुआ प्रतीत होता है।

केंद्र में एक शिवलिंग संरचना और उसके चारों ओर पांच पुंकेसर भी हैं। जिन्हें लोग पांच पांडव के नाम से भी जानते हैं। सौभाग्य से यह वृक्ष सूरत शहर के सिद्धकुटीर, नवयुग महाविद्यालय, गांधीबाग, जहांगीरपुरा, राममढ़ी, कामरेज, बजरंग उद्योग आदि स्थानों पर पाया जाता है। यह वृक्ष भगवान दत्त को अत्यंत प्रिय था। धार्मिक दृष्टि से इस वृक्ष को भगवान शिव का साक्षात रूप माना जाता है और यह भी कहा जाता है कि यह वृक्ष भक्तों की मनोकामना पूरी करता है। सूर्यपुर संस्कृत पाठशाला पाठशाला के अध्यक्ष गोवर्धनेश जोशी इस वृक्ष को शिवलिंग या कैलासपति कहते हैं। इसके फूल में सांप का आकार होता है और अंदर शिवलिंग की आकृति दिखाई देती है।