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Surat: रामचरितमानस बने राष्ट्रीय ग्रंथ -जगद्गुरु रामभद्राचार्य

सूरत/अहमदाबाद। अपने दो दिवसीय प्रवास पर सूरत (Surat) आए जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) ने रविवार को वेसू स्थित विजय लक्ष्मी हॉल में श्रोताओं के साथ सनातन संवाद किया। उन्होंने लोगों के सवाल पर जवाब दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि भारत के घर-घर में रामचरित मानस (Ramcharit Manas) की पुस्तक होनी चाहिए और यह तब ही संभव है जब 2024 में देश में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में सरकार बनें। उन्होंने आगे कहा कि रामचरित मानस की चौपाइयां तब के परिप्रेक्ष्य में हैं जब महिलाओं को पर्दे के भीतर रखा जाता था। ढोल, गंवार, शुद्र, पशु और नारी को ताड़ने से आशय है कि इन्हें शिक्षा देने की जरूरत है। ताड़न का आशय पीटना नहीं, शिक्षा से आशय है। नारी भोग का नहीं योग का साधन है।

रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ (National Book) घोषित करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह देश के घर-घर में पहुंच जाए और यह तब संभव है जब वर्ष 2024 में केन्द्र में फिर से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनें। जगद्गुरु ने कहा कि पिछले 9 साल में श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, धारा 370 और 35ए हटा, ट्रिपल तालाक का कानून हटा। अब देश में गौ हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए, रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर यह घर-घर उपलब्ध हो और पाक अधिकृत कश्मीर भारत में विलीन हो जाए। एक सवाल के जवाब में जगद्गुरु ने कहा कि जो प्रजा को धारण करना है वह धर्म है। जयश्री राम के नारे बारे में उन्होंने बताया कि जयश्रीराम में ताकत है भारत को जितने की। गोमुख से कटक तक, गंगासागर तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक भारत को बनाने के लिए जयश्रीराम हैं।

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