आयुर्वेद में सदियों से पुदीने का इस्तेमाल औषधि के रुप में हो रहा है। सामान्य तौर पर पुदीने का उपयोग , दंत-मंजन, टूथपेस्ट, चुइंगगम्स, माउथ फ्रेशनर, कैंडीज, इन्हेलर आदि में किया जाता है। इसके अलावा भी आयुर्वेद में पुदीने का प्रयोग अन्य रोगों के इलाज में भी होता है।
बिच्छु के काटने पर जो दर्द और जलन होता है, उससे राहत दिलाने में पुदीना मदद करता है। इसके लिए सूखा पुदीना के पत्तों को पीस लें। जिस जगह पर बिच्छु ने काटा है, वहां लगाने से दर्द और जलन कम होता है।
अगर शरीर के किसी अंग में सूजन के कारण दर्द हो रहा है तो पुदीने का प्रयोग इस तरह करने से आराम मिलता है। सूजन होने पर सूखा पुदीना के पत्ते का सिरके में पीस लें। इसका लेप करने से कफ दोष के कारण होने वाली सूजन ठीक होती है।
शरीर की जलन से छुटकारा पाने के लिए पुदीने के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 15 मिली पीने से जलन कम होता है। शरीर के जलन को कम करने में पुदीना के औषधीय गुण फायदेमंद तरीके से काम करता है।
मौसम के बदलाव के कारण बुखार आने पर पुदीना के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बुखार ठीक हो जाता है। इसके अलावा पुदीने की चटनी बनाकर खिलाने से भी बुखार, और बुखार के कारण होने वाली भूख की कमी ठीक होती है। पुदीना के औषधीय गुण बुखार से जल्दी आराम दिलाने में मदद करते हैं।
रैशेज, मुंहासे या घाव होने पर त्वचा पर काले-धब्बे पड़ जाते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए पुदीना के पत्तों को पीस लें। इसे दाग वाले जगह पर लगाने से काले धब्बे मिट जाते हैं। त्वचा संबंधी किसी भी समस्या में पुदीना के फायदे (pudina ke fayde)असरदार तरीके से काम करते हैं।
हाथीपांव होने पर पैर हाथी की तरह फूल जाता है, और दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। हाथीपांव के दर्द से राहत पाने के लिए पुदीना का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली की मात्रा में सेवन करें।
मासिक धर्म में दर्द और ऐंठन यानि क्रैम्प का कारण बढ़ा हुआ वात दोष होता है । पुदीना के सेवन से हम इस दर्द और ऐंठन को दूर कर सकते हैं, क्योंकि इसमें वातशामक और उष्ण गुण होते है जो दर्द और ऐंठन में राहत देते हैं।
पुदीना अपने वात -कफ शामक गुण के कारण अस्थमा में भी लाभदायक होता है । इसकी तासीर गर्म होने के कारण फेफड़ों में जमे बलगम को पिघला कर उसे बाहर निकालने में सहायता करती है । इससे इस बीमारी के लक्षणों के कम होने में सहायता मिलती है ।