आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मनुष्य के जीवन को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण बातें अपनी नीति शास्त्र में लिखी हैं।

चाणक्य कहते हैं कि बुरा वक्त आने पर इंसान को सबसे पहले अपने डर पर काबू करना चाहिए, क्योंकि डर व्यक्ति को अंदर से कमजोर बनाता है। किसी भी हालात से लड़ने के लिए पहले डर से लड़ना होगा।

डर पर काबू

 किसी भी परिस्थिति से घबराना नहीं चाहिए। बुरे समय में अक्सर ऐसा होता है कि व्यक्ति घबरा जाता है और अपना धैर्य खो देता है। इसी चक्कर में कभी-कभी गलत कार्य भी कर बैठता है। व्यक्ति को हमेशा याद रखना चाहिए कि जिस तरह दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता है, उसी तरह बुरे समय जाने के बाद अच्छा समय भी आता है। इसलिए बुरे समय में धैर्य न खोएं।

धैर्य

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संकट आने पर उसके कारण और निवारण के बारे में आत्म मंथन करके रणनीति तैयार करनी चाहिए। बुरे समय को एक चुनौती की तरह देखना चाहिए और ठोस रणनीति के साथ प्रहार करना चाहिए। तभी आप उस बुरे वक्त से बाहर निकल पाएंगे।

रणनीति बनाकर कर प्रहार करें

चाणक्य नीति के अनुसार साहस और संयम रखने से व्यक्ति हर मुश्किल का सामना डटकर सकता है। इसलिए व्यक्ति को बुरे समय में हमेशा साहस और संयम को बनाए रखना चाहिए।

साहस और संयम

चाणक्य ने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी बातों के बारे में भी जिक्र किया है, जिन्हें ध्यान में रखकर मनुष्य संकट और बुरा वक्त आने पर भी उसका सामना कर लेता है। बुरा वक्त आने पर इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।