सोडा- इस बारे में सालों से कहा जा रहा है कि सोडा सेहत के लिए कितना खतरनाक है. चीनी, आर्टिफिशियल केमिकल और रंगों की वजह से ये कैंसर का खतरा दे सकते हैं. अगर आपको कैफीन लेने की इच्छा हो रही हो, तो सोडा की बजाए हल्की चीनी वाली चाय या कॉफी लेना ज्यादा बेहतर विकल्प है.
अल्कोहल- शरीर में शराब की बहुतायत से लिवर और किडनी को अतिरिक्त काम करना होता है. कई स्टडीज ये बताती हैं कि ज्यादा मात्रा में शराब पीना मुंह, इसोफेगस, लिवर, कोलोन और रेक्टम कैंसर का खतरा बढ़ा देता है. अब सवाल ये है कि कितनी ज्यादा बहुत ज्यादा है. शोध कहते हैं कि औरतें रोज एक ड्रिंक और पुरुष रोज 2 ड्रिंक लें, तभी ये सुरक्षित है.
नॉन ऑर्गेनिक फल: जो फल लंबे समय से कोल्डस्टोरेज में रखे रहते हैं, उनकी लाख सफाई के बावजूद उनपर केमिकल की परत चढ़ी ही रहती है. इसकी वजह से कैंसर होता है. निश्चित समय के बाद स्टोर किए हुए फलों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए.
मैदा- चोकर वाला आटा जितना फायदेमंद है, मैदा सेहत के लिए उतना ही खराब है. आटे से मैदा बनानेकी प्रक्रिया में कई कार्सिनोजेनिक तत्व निकलते हैं. इसके अलावा मैदे को सफेद रंग देने के लिए उसे क्लोरीन गैस से गुजारा जाता है. ये बहुत खतरनाक और कैंसर की कारक है. डायबिटीज के मरीजों के लिए मैदा और भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है.
माइक्रोवेव पॉपकॉर्न- माइक्रोवेव में बनाया गया पॉपकॉर्न कैंसर की वजह बनता है. क्योंकि माइक्रोवेव में पॉपकॉर्न डालने से परफ्यूरोक्टानोइक एसिड (perfluorooctanoic acid) बनता है. ये एक तरह का सिंथेटिक रसायन है जिससे पैंक्रियाज, किडनी, ब्लैडर, लिवर और टेस्टिकुलर कैंसर हो सकता है. पॉपकॉर्न स्नैक का अच्छा विकल्प है, बशर्तें इसे एयर पॉपर में बनाया जाए और लहसुन मिलाकर खाया जाए.
फार्म्ड सैल्मन मछली: वैसे तो सैल्मन मछली प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड का कापी अच्छा स्त्रोत है लेकिन आजकल मछली की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे पानी की टंकियों में पाला जा रहा है. उन्हें एंटीबायोटिक्स से भरी डायट दी जाती है ताकि वे बीमारियों से बची रहें. यही एंटीबायोटिक्स हमारे भीतर पहुंचकर कैंसर की वजह बन जाते हैं. जांच में पाया गया कि फार्म्ड सैल्मन में मर्करी और डाइऑक्सिन जैसे खतरनाक केमिकल्स भरपूर मात्रा में हैं, ये सारे ही तत्व इंसानी सेहत के लिए जानलेवा हैं.
प्रोसेस्ड मीट- प्रोसेस्ड मीट खाने से कैंसर होता है. मीट को सुरक्षित रखने के लिए जो केमिकल प्रयुक्त होते हैं, उनमें सोडियम का इस्तेमाल होता है. सोडियम से सोडियम नाइट्रेट बनता है जो कार्सिनोजेनिक है.
आलू चिप्स- इनमें बहुत ज्यादा नमक और सेच्युरेटेड वसा होती है जो सेहत के लिए खराब है. इसके अलावा चिप्स में acrylamide नामक तत्व होता है जो अपने-आप में कार्सिनोजेनिक केमिकल यानी कैंसर पैदा करने वाला रसायन माना जाता है. ये केमिकल तेज आंच पर पके किसी भी खाने में पैदा हो सकता है, चिप्स भी इसी श्रेणी में है. Acrylamide सिगरेट में भी पाया जाता है, इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि चिप्स खाना कितना खतरनाक हो सकता है.