
-7 साल में 29 करोड़ रुपए के खर्च से गुजरात में 6 हजार से अधिक श्मशानों की भट्ठी को किया अपडेट
सूरत/अहमदाबाद. गुजरात सरकार(Government of Gujarat) ने पर्यावरण संरक्षण(Environment protection) के लिए राज्य भर में दृढतापूर्वक विशेष उपाय किए हैं। सरकार जहां एक ओर हर साल अधिक से अधिक पौधरोपण को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं प्रदूषण रोकने पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। गुजरात ऊर्जा विकास एजेंसी (जीईडीए, गेडा) ने राज्य की परंपरागत श्मशान भट्ठियों को अपडेट कर जहां प्रदूषण को रोका है, वहीं लकड़ियों का इस्तेमाल भी 40 से 50 फीसदी कम करने में सफलता पाई है। इसके तहत पिछले 7 साल के दौरान राज्य के 65,552 श्मशान भट्ठियों को अपडेट किया है। गेडा की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार हिंदू परंपरा में अग्निसंस्कार विधि के लिए लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। इस लकड़ी के उपयोग को कम कर पर्यावरण का जतन करने के लिए अपडेटेड श्मशान भट्ठी लगाए जा रहे हैं। अपडेटेड श्मशान भट्ठी के उपयोग से मृतदेह के अग्निसंस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की उपयोगिता को 40 से 50 फीसदी कमी लाई गई है। अपडेटेड श्मशान गृह(Updated Crematorium) के कारण मृत मानव शरीर का तेजी व स्वच्छ अग्निसंस्कार होता है। इसका मूल उद्देश्य लकड़ी के उपयोग में कमी लाना है। इस योजना के तहत गांव के श्मशान गृहों में एक इलेक्ट्रिक सिस्टम स्थापित किया जाता है। इसकी देखरेख पंचायत/तहसील पंचायत/नगर पालिका की ओर से किया जाता है। खास बात यह है कि अपडेटेड श्मशान गृह में शत-प्रतिशत हिंदू परंपरा के अनुसार अग्निसंस्कार किया जाता है। इसके अलावा लोगों की आस्था और मान्यता का भी ध्यान रखा जाता है। जैसे की हिंदू परंपरा में अग्निसंस्कार के वक्त कपाल क्रिया और पंच समाधि जैसी विधियों का अनादर नहीं हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। परंपरागत खुली अग्निसंस्कार पद्धति की तुलना में अपडेटेड श्मशान गृह के उपयोग से 40 फीसदी से अधिक लकड़ी की बचत हो रही है। खुली अग्निसंस्कार पद्धति के लिए 350 किलो लकड़ी का इस्तेमाल होता है। इस योजना के जरिए लकड़ी की बचत कर पर्यावरण के संरक्षण में मदद मिलती है। यह योजना वर्ष 2016 से कार्यरत है। इस योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 902 अपडेटेड श्मशान भट्ठी लगाई गई। इसके लिए सरकार की ओर से 367 करोड़ रुपए खर्च किए गए है।